नई दिल्ली। क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के खिलाफ करवाई करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात सरकार पर दबाव बना पाने में सफल होंगे ?
इस सवाल पर देश के सुरक्षा और कूटनीत विशेषज्ञों की निगाह टिक चुकी है। सुरक्षा और कूटनीति विशेषज्ञों का मानना हैं कि अगर यूएई पर प्रधानमंत्री मोदी ने दबाव बना लिया तो पाकिस्तान में होने के बावजूद दाऊद इब्राहिम को घेरना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा ।
ऐसा बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दौरे में यूएइ सरकार से अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए वार्ता कर सकते हैं । कारण यह हैं कि दाऊद इब्राहिम के माफियाराज में यूएई का शहर दुबई का अपना योगदान है। दुबई में दाऊद ने काफी बेनामी और रजिस्टर्ड संपत्ति बनायीं है और उसके काले धंधे में दुबई एक बड़ा केंद्र बना हुआ है।
दुबई में दाऊद के भाई अनीस तथा उसके रिश्तेदारों द्वारा कई धंधे गैरकानूनी रूप से चलाये जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ यूएई की यात्रा पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी गए हुए हैं और वो अपने साथ यूएई में मौजूद दाऊद की तमाम वैध और अवैध कंपनियों, होटल और अन्य तमाम सम्पतियों की पूरी सूचना साथ ले गए हैं।
यह सभी सूचनाएं प्रधानमंत्री मोदी यूएई सरकार को सौपेंगे और यह अपील करेंगे कि दाऊद और उसके गिरोह की संपत्ति को जब्त करने के साथ ही कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए । जानकारी हो कि दाऊद की यूएई में संपत्ति जब्त करने को लेकर प्रवर्तन निदेशालय एक महीने पहले ही यूएई सरकार के सामने अपील कर चुकी है।
दाऊद को घेरने की प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति पर कूटनीति विशेषज्ञों की निगाह लगी हुई है । पूर्व विदेश सचिव एन.एन.झा की हिन्दुस्थान समाचार से हुई बातचीत में कहते हैं कि दाऊद इब्राहिम इन दिनों पाकिस्तान की शरण में है।
ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए यूएइ सरकार से मांग कर सकते हैं, लेकिन यूएइ यह बात भी साफ-साफ़ कह सकता है कि दाऊद उनके देश में नही है। इसके बावजूद फ़ायदा यह हो सकता है कि अगर दुबई में यूएई की सरकार दबाव बनाती है तो पाकिस्तान और दाऊद को यह जरूर समझ आ जायेगा कि अब दुबई में उसके रास्ते बंद हो रहे हैं।
इसी तरह सुरक्षा विशेषज्ञ और सेनानिवृत लेफ्टिनेंट-कर्नल आर एस एन सिंह कहते हैं कि दाऊद इब्राहिम इस समय पाकिस्तान में है, इसलिए यूएइ उसके खिलाफ कार्रवाई करने में खुद को असमर्थ बता सकती है। लेकिन भारत को कोशिश करनी चाहिए क्योंकि अगर भारत ने कुछ भी नही किया तो दाऊद का साम्राज्य फैलता जाएगा।
भारत की यूएइ सरकार से बातचीत के बाद कम से कम उसकी सम्पति पर नजर रखने की सहमति तो बन ही सकती है। साथ ही यूएइ पर अतिरिक्त दबाव बना कर दाऊद की भारत विरोधी गतिविधियों पर भी अंकुश लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत को प्रयास करते रहना चाहिए क्योंकि कई बार ऐसे प्रयास सफल हो जाते हैं।
कुछ ऐसा ही वरिष्ठ सुरक्षा विशेषज्ञ कमर आगा कहते हैं । वो दाऊद इब्राहिम के खिलाफ भारत द्वारा उठाए जा रहे कदम की तारीफ करते हुए कहते हैं कि दाऊद इब्राहिम भारत के लिए ही नहीं, बल्कि यूएइ के लिए भी एक बड़ा खतरा बन कर उभर रहा है क्योंकि दाऊद के सबंध आतंकी संघठन लश्कर-ए-तोएबा सहित कई और आंतकी गिरोह के साथ हैं।
दाऊद के गैरकानूनी पैसे का एक बड़ा हिस्सा आंतकी गतिविधियों का अंजाम देने के लिए इन सगठनों का पास जाता है और यह संघठन अब यूएइ के लिए भी चिंता का विषय है। ऐसे में वहां की सरकार भारत के दबाव में आकर दाऊद को पूरी तरह घेर सकती है। भारत ने यह कदम बहुत सही समय पर उठाया है जिसका फायदा जरूर मिलेगा।