सिरोही। जिले की एक सरकारी एजेंसी में भर्ती घोटाले का जिक्र सबगुरु न्यूज ने 20 अगस्त को ‘व्यापमं की तरह सिरोही में नपमं’ शीर्षक का समाचार में किया था, इस कथित घोटाले की जानकारी बाहर आने पर अनियमित तरीके से नियुक्त किए गए पांच लोगों की नियुक्ति रद्द कर दी गई है।
भाजपा राज में हुई यह कथित अनियमितता प्रदेश स्तर का बडा नियुक्ति घोटाला भी बन जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। सूत्रों के अनुसार इसमें से एक नियोक्ता अधिकारी का भतीजा, एक उनके गांव का, एक व्यक्ति नियोक्ता एजेंसी में कार्यरत कार्मिक का पुत्र, एक नियोक्ता एजेंसी में घोटालों में सबसे ज्यादा दखल रखने वाले कार्मिक का दाहिना हाथ और एक महिला शमिल है। जैसे कि सबगुरु न्यूज ने पहले ही खुलासा किया था कि दो अगस्त को नियोक्ता एजेंसी के दो प्रमुख लोगों के बीच बहस हुई थी। उसी बहस के बाद इन पांच लोगों की नियुक्ति की रद्द गई है।। सूत्रों की मानें तो यह बहस नियुक्ति के लिए गए कथित पैसों की बंदरबांट को लेकर हुई थी। एक को हिस्सा नहीं मिला तो यह विवाद उठ खडा हुआ।
तो बाकियों का क्या
सबगुरु न्यूज को मिली जानकारी के अनुसार ऐसे छह लोग और हैं जिन्हें संबंधित एजेंसी ने अनियमित तरीके से नियुक्ति देकर ट्रेजरी से उनकी तनख्वाह तक उठवा ली है। वैसे यह एक तरह के गबन की श्रेणी में भी आता है, जिसमें नियुक्त करने वाले लोगों के साथ-साथ नियुक्त अभ्यर्थियों पर भी राजकोष को नुकसान पहुंचाने का मामला बनना चाहिए।
वैसे सूत्रों के अनुसार जिन छह लोगों की तनख्वाह ट्रेजरी से निकाले गए हैं, उनमें से एक इस एजेंसी के प्रमुख का करीबी रिश्तेदार भी है। हालात यह है कि इस एजेंसी के दोनों प्रमुख लोगों ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के अधिकारों का उल्लंघन करके चतुर्थ श्रेणी के साथ-साथ तृतीय श्रेणी के पदों पर भी नियुक्ति दे दी। लोक सेवा आयोग एक संवैधानिक संस्थान है उसके अधिकारों के उल्लंघन का परिणाम और अंजाम किसी से छिपा भी नहीं है।
मंत्री वाकिफ
इस सब घोटाले के बारे में स्थानीय प्रभारी मंत्री को बताया जा चुका है और हास्यास्पद बात तो यह है कि प्रभारी मंत्री को इसकी जानकारी देने की बाद ही पांच और नियुक्तियां दे दी गई। इसमें से दो लोग तो प्रभारी मंत्री के गृह जिले के ही बताए जा रहे हैं।
मंत्री की जानकारी में आने के बाद भी यह हिमाकत होना गंभीर अनियमितता की ओर इशारा कर रही है। वैसे जिन पांच लोगों को निकाला गया है, उनका खुलासा करने पर सिरोही में ईमानदारी की दुकान सजाकर सत्ता पर काबिज हुए कई नेताओं की राजनीतिक यात्रा पर विराम लग सकता है।
कांग्रेस की चुप्पी का राज क्या
इस घोटाले के खुलने पर कांग्रेस भाजपा की साख पर एक बहुत बडा दाग लगा सकती है, इसके बाद भी स्थानीय कांग्रेस के दबंग नेता संयम लोढा की इस पर चुप्पी समझ से परे है। इतना कुछ होने के बाद भी लोढा की चुप्पी अब लोगों के बीच में भी चर्चा का विषय बन चुका है।
एक आंदोलन के रूप में इस घोटाले की परतें खोलकर कांग्रेस सिरोही जिले में भाजपा के चेहरे को बेनकाब कर सकती है, लेकिन जनहित और 11 काबिल युवाओं के हितों पर कुठाराघात करने वाले इस मामले में कांग्रेस की चुप्पी संदेहास्पद है।
कांग्रेस बोर्ड में हुए घोटालों की चुप्पी का खामियाजा खुद कांग्रेस को भुगतना पडा था, अब भाजपा राज में हुए इस कथित घोटाले को खोलकर कांग्रेस कम से कम यह तो खुलासा कर सकती है कि भाजपा भी कोई पाकसाफ नहीं और इस पार्टी की भी सिरोही में नियती सिर्फ जनहितों को कुठाराघात करके अपने घर भरने की ही है।
वैसे प्रदेश भाजपा सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर अपनी सफलता गिनाने वाली प्रदेश सरकार के दामन पर सिरोही में भाजपा शासन में हुई अनियमितताएं सबसे बडे दाग के रूप में सामने आ सकती है और इस प्रकरण में मंत्री की चुप्पी तो और भी बडा मुद्दा हो सकता है।
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