सिरोही। अगर दिल को संभालकर नहीं रखा तो किडनी भी बर्बाद हो सकती है। दिल के स्वथ्य नहीं रहने पर किडनी समेत शरीर के दूसरे अंगों पर भी प्रभाव पड़ता है। इसमें किडनी प्रमुख है।
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ऐसा कहना है कि डायरेक्टर ऑफ इंटरनेशनल नेफ्रेलॉजी और अमेरिका के सेंट लुईस में स्थित सेंट लुईस युनिवर्सिटी के एडजोइनिंग असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रघुवीर कुरा का।
ब्रह्मकुमारी के शांतिवन में आयोजित दसवी डब्ल्यूसीसीपीसीआई में आए अमेरिका के डॉ कुरा ने सबगुरु न्यूज से विशेष साक्षात्कार में बताया कि दिल की फंक्शनिंग प्रभावित होगी तो किडनी की कार्यप्रणाली भी प्रभावित होगी और यदि किडनी सही से काम नहीं करेगी तो दिल पर भी इसका प्रभाव पड़ेेगा। उनका कहना कि दिल की आर्टरी में ब्लॉकेज आने से किडनी में ब्लड सप्लाई प्रभावित होगी, इससे उसमें ऑक्सीजन की सप्लाई प्रभावित होगी और उसकी फंक्शनिंग प्रभावित होगी।
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उन्होंने कहा कि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर भी वो कारण हैं जिनसे दिल के साथ साथ किडनी भी प्रभावित होती है और किडनी के फेल होने की स्थिति आ जाती है। हार्ट और किडनी का कीमो डायनेमिक रिलेशन है। यदि कार्डियक प्रॉब्लम से लो ब्लड प्रेशर होता है तो पेशाब कम लगता है, इससे भी किडनी की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।
डायबिटीज से बचें
दिल और किडनी दोनों के लिए डायबिटीज दुश्मन है। यदि डायबिटीज हो गई तो दिल के साथ किडनी फेल होने की संभावनाएं बहुत ज्यादा हो जाती है। इसके हाई ब्लड प्रेशर होता है इससे भी किडनी फेलीयर और पानी भरने की समस्या हो सकती है।
तीन तरह से किडनी पर प्रभाव
डा कुरा ने बताया कि किडनी की फंक्शनिंग तीन हिस्से से प्रभावित होती है। किडनी का ऊपरी हिस्सा, जो हाई और लो ब्लड प्रेशर के कारण किडनी फेलीयर का कारण बनती है।
खुद किडनी, जो अत्यधिक नॉन स्टेराइड दवा लेने से प्रभावित होती है। तीसरा किडनी के नीचे का हिस्सा, जिसमें प्रोस्टेट, टयूमर या कैंसर आदि होने से किडनी फेलीयर का कारण बन जाती है।
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डॉ कुरा ने बताया कि दर्द को कम करने के लिए भारत में बिना किसी पर्ची के मिलने वाली आईबूप्रूफेन, ब्रूफेन, लेप्रोक्स, वोवेरोन जैसी नॉन स्टेरॉयड दवाएं किडनी को फेल कर सकती हैं।
चिकित्सक की परामर्श के बिना प्रतिदिन चार से पांच तक नॉनस्टेरॉयड दर्द निवारक लम्बे समय तक लेने से किडनी फेलीयर हो सकती है। इसके लिए जागरूकता फैलाने की जरूरत है कि बिना चिकित्सकीय परामर्श के दर्द निवारक का अनवरत इस्तेमाल नहीं करें, ताकि किडनी फेलीयर से बचा जा सके। यह दवाएं किडनी में ब्लड सप्लाई और इसके साथ ऑक्सीजन की कमी कर देती हैं, उसके स्ट्रक्चर को प्रभावित करती हैं और डंटेस्टीशन को प्रभावित करती हैं। इससे रेनल फेलीयर हो जाता है।
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यूं जांचे किडनी की फंक्शनिंग
दिल को बीमारी से दूर रखने के लिए ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल टेस्ट के अलावा समय समय पर क्रिटेनिन टेस्ट भी करवाया जाना चाहिए। इससे किडनी की फंक्शनिंग का पता चल जाता है।
पानी बचाएगा किडनी
किडनी की फंक्शनिंग को सही रखना है तो पानी पर्याप्त मात्रा में पीना होगा। उन्होंने बताया कि भारत के परिप्रेक्ष्य में प्रति वयस्क को प्रतिदिन कम से कम पांच लीटर पानी पीना चाहिए। इससे बॉडी मेटाबॉलिज्म के साथ किडनी की कार्यप्रणाली भी अच्छे से चलती है।