भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हमेशा से ही हिन्दी को प्रोत्साहित करते आ रहे हैं। प्रदेश में यह विश्व स्तरीय आयोजन हमारी मातृभाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही आयोजित हो रहा है।
इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री चौहान का कहना है कि अंग्रेजी के बिना भी सरकारी कामकाज आसानी से हो सकता है, अदालती कार्रवाई की भाषा भी हिंदी बन सकती है।
ऐसा कहने के पीछे मुख्यमंत्री की मंशा साफ है। दरअसल, प्रदेश में अंग्रेजी के जानकार बहुत कम है, लेकिन यहां राजकाज से लेकर अदालती कार्रवाई तक अंग्रेजी में ही होती है। ऐसे में ग्रामीण गरीब अदालतों में क्या होता है, यह समझ ही नहीं पाते।
शासन-प्रशासन क्या काम करता है, क्या आदेश जारी होते हैं, इसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होती। इसीलिए मुख्यमंत्री चाहते हैं कि यह सारे काम हमारी राजभाषा में हो, ताकि सभी लोग अदालती प्रक्रिया और शासन की कार्यपद्धति को समझ सके। इसीलिए चौहान हिन्दी की वकालत करते रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की बड़ी कंपनियां इस सम्मेलन में रूचि ले रही हैं, इससे जाहिर है कि हिंदी के जरिए भी सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आसानी से कामकाज हो सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्मेलन के साथ ही अंग्रेजी को लेकर कई भ्रम दूर हो रहे हैं, प्रशासन हिंदी में भी आसानी से काम कर सकता है।