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फाइलों से खुलासा, नेताजी के परिवार की कराई गई जासूसी - Sabguru News
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फाइलों से खुलासा, नेताजी के परिवार की कराई गई जासूसी

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फाइलों से खुलासा, नेताजी के परिवार की कराई गई जासूसी
64 netaji secret files released by bengal govt
64 netaji secret files released by bengal govt
64 netaji secret files released by bengal govt

कोलकाता। करीब 13,000 पन्नों से लैस नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलें शुक्रवार को सार्वजनिक की गईं जिनकी पड़ताल से पता चलता है कि आजाद भारत में उनके परिवार के कुछ सदस्यों की जासूसी कराई गई। हालांकि, फाइलों के अध्ययन से अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि क्या वाकई उनकी मौत 1945 में हुए एक विमान हादसे में हुई थी।

वर्षों तक पुलिसिया और सरकारी लॉकरों में छिपाकर रखी गईं 12,744 पन्नों वाली 64 फाइलें बोस के परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में प्रदर्शित की गईं। करीब 70 साल पहले रहस्यमय परिस्थ्तियों में लापता हुए बोस के परिजन यह मांग करते रहे हैं कि आजाद हिंद फौज के नेता से जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

शहर के पुलिस आयुक्त सुरजीत कार पुरकायस्थ ने कहा कि इन फाइलों को कोलकाता पुलिस संग्रहालय में कांच के बक्सों में रखा गया है और सोमवार से आम जनता की पहुंच इन तक होगी। सार्वजनिक की गई एक फाइल में नेताजी के भतीजे शिशिर कुमार बोस द्वारा 1949 में अपने पिता और नेताजी के बड़े भाई शरत चंद्र बोस को लिखा गया एक पत्र है जिसमें उन्होंने लिखा कि उनके पास नेताजी के एक रेडियो चैनल पर आने की सूचना है।

बारह दिसंबर 1949 को शिशिर ने लंदन से अपने पिता को लिखा था कि पीकिंग रेडियो ने घोषणा की कि सुभाष चंद्र बोस का बयान प्रसारित किया जाएंगा। रेडियो ने प्रसारण के समय और तरंगदैघ्र्य के बारे में भी बताया। हांगकांग दफ्तर ने ब्योरे के मुताबिक प्रसारण सुनने की कोशिश की पर कुछ सुनाई नहीं दिया। मैंने गार्ड से कहा है कि यदि संभव हो तो मुझे और ब्योरा मुहैया कराए।

शरत चन्द्र बोस द्वारा स्विटजरलैंड की किसी मिस लिलि एबेग को 28 दिसंबर, 1949 में कहा गया है कि यदि आपने 1946 में जापानी सूत्रों से सुना है कि मेरा भाई नेताजी अभी जीवित है, तो इससे मेरे विश्वास को बल मिलता है, ब्रिटिश और अमरीकी सूत्रों से आपको जानकारी मिलने से ज्यादा। फाइलों में शरत बोस द्वारा लिखी गईं और उन्हें मिली चिट्ठियां हैं। इन्हें सामान्य तौर पर शहर के डाकघर या एल्गिन रोड, जहां बोस परिवार रहता था, डाकखाने से रोका गया है।

नेताजी के परिवार की एक अन्य सदस्य, कृष्णा बोस हालांकि एक अनुसंधानकर्ता के रूप में तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मानती हैं कि नेताजी की विमान हादसे में मौत हो गई थी। उनका कहना है कि बतौर अनुसंधानकर्ता, मेरे विचार खुले हुए हैं। यदि साक्ष्यों के आधार पर साबित हो जाए कि नेताजी विमान हादसे में नहीं मरे, तो मैं मान लूंगी।

नेताजी के भाई के पोते, चन्द्र बोस का कहना है कि उस दौरान परिवार के जीवित सदस्यों का मानना था कि स्वतंत्रता सेनानी जीवित हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन भारत सरकार ने हमारे परिवार को सर्विलांस पर क्यों रखा? जबकि वे जानेमाने और इज्जतदार लोग थे। हम केन्द्र सरकार से इस मामले की जांच कराने की मांग करते हैं।

चन्द्र ने कहा कि उन्होंने फाइलों में देखा है कि आईबी के 14 अधिकारियों को उनके पिता अमिया नाथ बोस की जासूसी करने पर लगाया गया था। शुक्रवार को सार्वजनिक की गई फाइलों में से एक में नेताजी के लापता होने का सिर्फ कवर है, अंदर की सारी सामग्री गायब है। उन्होंने कहा कि यह तथ्यों को दबाने का मामला है। एक गोपनीय फाइल कैसे लापता हो सकती है? उन्होंने ऐसे महत्वपूर्ण दस्तोवजों की कोई प्रति तो रखी होगी।