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विकलांगों को दौड़ते देखना चाहते हैं ब्लेड रनर - Sabguru News
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विकलांगों को दौड़ते देखना चाहते हैं ब्लेड रनर

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विकलांगों को दौड़ते देखना चाहते हैं ब्लेड रनर
inspiring story Blade Runner major DP Singh
  • inspiring story Blade Runner major DP Singh
    inspiring story Blade Runner major DP Singh

    नई दिल्ली। भारत के पहले ब्लेड रनर मेजर डी पी सिंह का सपना है कि वह विकलांगों को दौडऩे और जीवन में जीतने के लिए प्रेरित करें।

    वर्ष 1999 की लड़ाई में बम फटने से अपना एक पैर गंवा बैठे और शरीर में कई हिस्सों पर जख्म खाने वाले मेजर डी पी सिंह ने 10 वर्षों तक इन चोटों से संघर्ष किया और 2009 में एयरटेल दिल्ली हाफ मैराथन में पहली बार शिरकत करने के बाद फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।

    आज उनका नाम देश के उन लोगों में लिया जाता है जिन्होंने अपने अदम्य साहस और संघर्ष क्षमता से दूसरों को जीवन में आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। मेजर सिंह शनिवार को यहां त्यागराज स्टेडियम में नाइकी रन क्लब के धावकों के सामने मौजूद थे और उनमें जीवन में आगे बढऩे का जज्बा पैदा कर रहे थे।

    ब्लेड रनर के नाम से मशहूर मेजर सिंह ने केंद्रीय सचिवालय मैदान से नाइकी रन क्लब के धावकों की पांच किलोमीटर दौड़ की शुरूआत की थी और फिर त्यागराज स्टेडियम में उन्हें हाफ मैराथन में दौडऩे के गुर सिखाए।

    उन्होंने अपने सामान्य जीवन और ब्लेड रनर के रूप में अपने जीवन के बीच तुलना के बारे में ब्लेड रनर के जीवन को ज्यादा सर्वश्रेष्ठ बताते हुए कहा कि मैं चाहता हूं कि जो भी किसी कारणवश विकलांग हो गए हैं वे अपने अंदर दौडऩे का जज्बा पैदा करें।

    मैंने 2011 में ऐसे ही लोगों का एक क्लब बनाया था जिसमें अब 800 लोग शामिल हो चुके हैं। उनमें से कुछ ब्लेड रनर भी बने हैं और कुछ ने कृत्रिम पैरों के सहारे अपने जीवन को सामान्य बनाया है। मेजर सिंह ने कहा कि 10 वर्षों तक मैं अपने शरीर की चोटों और खुद से जूझता रहा। लेकिन मैंने निराशा को खुद पर हावी नहीं होने दिया।

    मैंने 2009 में पहली बार दिल्ली हाफ मैराथन के बारे में पढ़ा, तब मैं नहीं जानता था कि दौड़ा कैसे जाता है। तब मेरे पास ब्लेड भी नहीं थे। मैने कृत्रिम पैरों के सहारे चलना शुरू किया। एक महीने के अभ्यास में मैं नौ किलोमीटर भी नहीं चल पाता था।

    उन्होंने कहा कि रेस के दिन मैं ऐसे दो लोगों से मिला जो 75 और 76 साल के बुजुर्ग थे और मैराथन में हिस्सा लेने आए थे। मैंने उनसे पूछा कि वे कितना दौड़ेंगे और उनका कहना था कि पूरे 21 किलोमीटर दौडऩा है। इस बात ने मुझमें एक नयी उर्जा का संचार किया। मैंने अपनी पहली हाफ मैराथन तीन घंटे 49 मिनट में पूरी की।

    इस दौरान मैंने खुद से लड़ाई लड़ी और जब मैंने फिनिश लाइन पार की तो उस समय जैसे विजेता बनने के एहसास को मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता। वर्ष 2011 में सेना ने मेजर सिंह के जज्बे को देखा और उन्हें ब्लेड प्रदान किए। इस तरह भारत में पहली बार ब्लेड आए और भारत के पहले ब्लेड रनर का जन्म हुआ।

    मेजर सिंह ने अपने करियर की चौथी रेस ब्लेड रनर के रूप में दो घंटे 40 मिनट में पूरी की। उन्होंने हाफ मैराथन में अपने सर्वश्रेष्ठ समय को दो घंटे 10 मिनट तक पहुंचा दिया है। मेजर सिंह ने कहा कि जब मैं अपनी तमाम परेशानियों के बावजूद दौड़ सकता हूं तो आप लोग तो सामान्य हैं, तो आप क्यों नहीं दौड़ सकते।

    आप अपने अंदर दौडऩे का जज्बा लाइए और आप भी विजेता बन सकते हैं। नाइक रन क्लब के धावक 29 नवंबर को दिल्ली में होने वाली हाफ मैराथन की तैयारी कर रहे हैं और इसी सिलसिले में इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ था।