जयपुर। पाकिस्तान की जेलों में कुछ एसे भारतीय भी कैद हैं जो अपना नाम और पता तक भूल चुके हैं। वे कहां के हैं और उनके परिजन कौन हैं इसका भी उनको भान नहीं है। हाल ही में पाकिस्तान ने इन लोगों के बारे में सूचनाएं राजस्थान में अजमेर पुलिस को को भेजी हैं।
ताज्जुब की बात तो यह है कि पाकिस्तान अपने जेलों में बंद भारतीयों की सूचना पूरी नहीं दे रहा। जो जानकारी मांगी जाती है वो टुकड़ों में दी जा रही है। ये वो भारतीय बंदी हैं जिन्हें बीते वर्षो में पाकिस्तान के सुरक्षाकर्मियों ने पाकिस्तान के सरहदी इलाकों में गिरफ्तार किया था । इनमे से अधिकांश बंदी मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण अपना नाम-पता सही नहीं बता पा रहे हैं।
पुलिस का मानना है कि इनमें से कोई भी अजमेर और राजस्थान के आसपास क्षेत्र का भी हो सकता है लेकिन सब कुछ भूल जाने के कारण वे अपना सही पता ठिकाना नहीं बता पा रहे।
यहां मिली जानकारी के अनुसार सोनू सिंह नामक व्यक्ति की दिमागी हालत पूरी तरह ठीक नहीं है फिर भी उसके बारे में कुछ सूचना प्राप्त हुई है। अपने परिवार के नाम,निवास स्थान,स्कूल अन्य बयानो के अनुसार वह मध्यप्रदेश के गांव सतवासा जिला होशंगाबाद का है।
वो कहता है कि उसकी पत्नी मैहरानूनी जिला ललितपुर की है। यह गांव मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश के बीच पड़ता है। ट्रेन से अकेला ही निकल गया लेकिन आगे क्या हुआ उसे याद नहीं आ रहा है।
इसी तरह सुरेन्द्र माधो मेथली बोलता है। उसके पिता राममनोज मेहता, माता समिता, बहन आरती, 6 भाई दशरथ, अर्जुन हैं। वह शादीशुदा है।
एक अन्य बंदी गुल्लो जन के बयान से मालूम हुआ है कि वह गांधी चौक नमक खजुर अमला काटोला दिल्ली से है लेकिन उसे यह पता नहीं कि लालकिला-कुतुब मिनार कहां है। उसके अनुसार उसके माता-पिता अमला काटोला के है। वह हिन्दी व भोजपुरी में बात करती है।
प्रहलाद सिंह ने अपने पिता का नाम पुनीत निवास गोसीपति तहसील बड़ी जिला सागर मध्यप्रदेश बताया। यह पूछने पर कि भोपाल कहां है तो उसने मना किया कि वह नहीं जानता। वह हिन्दी बोलता रहा था।
हसीना उर्फ शहजादी खुद को निवासी साहरनपुर उत्तर प्रदेश का बताती है और कहती है कि उसका जन्म औंरगाबाद महारा़ष्ट्र में हुआ था। वह पाकिस्तान पंजाबी मे बोल सकती है। वह भारत लौटना चाहती है। उसने कहा वह भीख मांगती थी ।
बिरजु उर्फ बिरचु निवासी राजगमपुर जलबेदा उड़ीसा का है। उसकी मां क्रिस्टीना व पिता का नाम धर्मो कर्मी । उसे थाना सदर नारौवल से गिरफ्तार किया गया था।
राजू पुत्र सन्तोष देव नारायण अपना गांव इन्दौर बताता है और हिन्दी भाषा बोलता है।
किश्वा भगवान गूंगा है। उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है। रमेश खुद को पोरंबदंर गुजरात का बताता है।
पुलिस का मानना है कि इनमें से कोई भी अजमेर और राजस्थान के आसपास क्षेत्र का भी हो सकता है लेकिन सब कुछ भूल जाने के कारण वे अपना सही पता ठिकाना नहीं बता पा रहे।