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खुले में आया सिरोही भाजपा का अंतरद्वंद्व - Sabguru News
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खुले में आया सिरोही भाजपा का अंतरद्वंद्व

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खुले में आया सिरोही भाजपा का अंतरद्वंद्व

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सबगुरु न्यूज-सिरोही। आखिरकार सिरोही भाजपा में चलनेवाले अंतरद्वंद्व खुले में आ गया। संगठन चुनावों को लेकर अब तक जो विवाद अंदरखाने चल रहा था वह अब खुले में आ गया है।

इस विवाद का सार्वजनिक बिगुल शनिवार को उस समय फुंक गया जब सिरोही भाजपा ग्रामीण मंडल के चुनावों के लिए चुनाव प्रभारियों की घोषणा हुई। इसके बाद सिरोही भाजपा ग्रामीण मंडल के कार्यकर्ताओं  और पदाधिकारियों ने यह कहते हुए आपात बैठक का आहवान कर दिया कि चुनाव प्रभारियों की नियुक्तियों में अनियमितता बरती गई है।

इसके लिए रविवार को 11 बजे गुडा स्थित राणेश्वर महादेव मंदिर मेंएक आपात बैठक का आयोजन रखा गया है, जिसमें चुनाव प्रभारियों की नियुक्ति पर चर्चा होगी। इसका आहवान डोडुआ के भुवनेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित भाजपा ग्रामीण मंडल की बैठक में चुनाव प्रभारी मदनसिंह थल की ओर से किए गए कथित पक्षपातपूर्ण रवैये के विरोध में किया गया है। इससे पहले पिछले सप्ताह डाक बंगले में भाजपा के दो पदाधिकारियों भी जमकर विवाद हुआ था, स्थिति हाथापाई तक पहुंच गई थी।
कई गुटों की दावेदारी
संगठन चुनावों को लेकर भाजपा में फिलहाल कई दावेदार सामने आ रहे हैं। इनमें वर्तमान जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चैधरी, पूर्व महामंत्री विरेन्द्रसिंह चैहान के अलावा भाजपा के परम्परागत वोट बैंक माने जाने वाले पुरोहित जाति के दावेदार भी हैं। जिलाध्यक्ष बनने के लिए जरूरी है कि ईकाई, बूथ और मंडल में इनके ही समर्थक अध्यक्ष बनें। इसके लिए चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी महत्पूर्ण हैं।

सभी दावेदार चुनाव अपने-अपने समर्थकों को ही चुनाव प्रभारी बनवाने की कवायद में लगे हैं। यही कारण है कि शनिवार को जब चुनाव प्रभारी और सह प्रभारियों की घोषणा हुई तो भाजपा सिरोही ग्रामीण मंडल में एक गुट के समर्थक कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों ने ब्लाॅक चुनाव प्रभारी की नीयत पर सवाल उठाते हुए आपात बैठक का आहवान कर दिया।

गुडा में आज होने वाली इस आपात बैठक में जमकर विवाद होने की आशंका है। दावेदारों और दूसरे दावेदारों के समर्थकों के बीच विवाद और झगडे का यह दौर अब तक अंदरखाने ही था, यही कारण है कि पिछले सप्ताह डाक बंगले में भाजपा के पूर्व महामंत्री और  कोषाध्यक्ष के बीच विवाद हुआ तो यह बात अंदर ही दब गई।

फिलहाल यह तय है कि सत्ता के मधु को चखने के लिए जिला भाजपा में जमकर विवाद हो रहा है और संभवतः इसकी परिणिति यह भी हो कि प्रदेश संगठन अंतिम समय में चुनाव करवाने की कवायद को किनारे करके जिलाध्यक्ष का मनोनयन प्रदेश से ही कर दे, जैसा कि कई बार कई राजनीतिक पार्टियों में हो चुका है।
कार्यकर्ताओं का समर्थन देखने का तरीका
भाजपा में इस तरह ईकाई और बूथ स्तर से लेकर जिला स्तर तक संगठन के चुनाव करवाने का यह पहला अवसर है, युवा कांग्रेस में यह प्रयास किया जा चुका है। एक तरह से संगठन चुनाव पार्टी को मजबूत करने का आधार होता हैं, इससे अंतिम पंक्ति के प्रभावशाली कार्यकर्ता को भी बेहतर पद पर पहुंचने का मौका मिल जाता है।

अब तक राजनीतिक पार्टियों में होता यह आया था कि दरी बिछाकर पार्टी को रेड कारपेट तक पहुंचाने वाले साधारण कार्यकर्ता को कोई पूछता नहीं था, जबकि प्रदेश पदाधिकारियों के चप्पल से लेकर तौलिये उठाने की चापलूसी करके कई नकारे लोग संगठन में बेहतर पद पा लेते थे।

वैसे एक हास्यास्पद पहलू यह भी है कि भाजपा प्रदेश संगठन ने जिला स्तर पर चुनावों की जिम्मेदारी जिन लोगों पर सौंपी है उनमें से अधिकांश कांग्रेसी हैं, जिन्हें इस तरह के सांगठनिक चुनाव करवाने और इस दौरान होने वाली जूतम पेजार को नजरअंदाज करते हुए काम निकाल लेने का बेहतर अनुभव है। यानी कांग्रेस मुक्त भारत का आहवान करने वाली कांगेस युक्त भाजपा अब राजस्थान में संगठन चुनावों के लेकर पुराने कांग्रेसियों के अनुभव पर निर्भर है।