सबगुरु न्यूज-सिरोही। मध्यप्रदेश की व्यापमं की तरह सिरोही नगर परिषद में भाजपा राज में हुए सरकारी नौकरी के घोटाले की जांच के आदेश जिला कलक्टर के पास आ गए हैं। नपमं के नाम से जाना जाने वाला यह भर्ती घोटाला सिरोही नगर परिषद मंडल में हुआ है। इसके जांच अधिकारी अतिरिक्त जिला कलक्टर होंगे।
एडीएम नागा को खसरा संख्या 1218 में अनियमितता के मामले की जांच भी सौंपी गई है, इसकी जांच पहले उपखण्ड अधिकारी ओमप्रकाश विश्नोई के पास थी, समय पर इस जांच को पूरा नहीं करने को लेकर विश्नोई पर प्रभारी सचिव ने नाराजगी जताई थी, बाद में अपरिहार्य कारणों से कलक्टर ने इसकी जांच उपखण्ड अधिकारी विश्नोई से लेकर एडीएम को सौंप दी।
दोनों मामलों सबगुरु न्यूज ने सबसे पहले खुलासा किया था और बताया था कि सिरोही की एक संस्थान के प्रमुख और सरकार के प्रतिनिधि ने अपने करीबियों को नियम विरुद्ध स्थायी नौकरियां दे दी हैं और नगर परिषद की जमीनें रेवड़ी की तरह बांट दी है।
आरपीएससी के भी अधिकारों का हनन
भाजपा के बोर्ड में सिरोही नगर परिषद में वो अनियमितता हुई तो राजस्थान में शायद ही कहीं हुई हो। यहां पर सभापति ताराराम माली के कार्यकाल में आयुक्त लालसिंह राणावत ने वित्त विभाग, राज्य सरकार, आरपीएससी के अधिकारों का अतिक्रमण करते हुए तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की स्थायी भर्ती कर ली।
इसमें अपने रिश्तेदारों और करीबियों लाभांवित कर दिया। सबसे पहले यहां के पार्षदों ने यह बात प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी के सामने सर्किट हाउस में यह मामला रखा था, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और आयुक्त लालसिंह राणावत तो यह सब अनियमितता करके रिटायर भी हो चुके हैं, ऐसे में यदि जांच में पूर्ण अनियमितता सामने आती है तो इसकी गाज नियुक्ति पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले दूसरे जिम्मेदारों पर गिरने की आशंका है। यह एक नॉन बेलेबल ऑफेंस बताया जा रहा है।
निकाला था पांच को
सिरोही नगर परिषद में सभापति ताराराम माली के कार्यकाल में आयुक्त लालसिंह राणावत ने राज्य सरकार के अधिकारों का अतिक्रमण करते हुए दो सेनेटरी इंस्पेक्टर, दो बागवान, तीन चालक समेत करीब एक दर्जन पदों पर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को स्थायी नियुक्ति दे दी थी।
इसमें से पांच लोगों को तो निकालने के आदेश आए थे, लेकिन इस प्रकरण की जांच नहीं हो पाई थी। सूत्रों के अनुसार इनमें से कईयों तनख्वाह तक ट्रेजरी से बनवा दी है। जानकारों के अनुसार यदि ट्रेजरी से इनकी तनख्वाहें उठी हैं तो यह एक तरह से सरकारी धन के गबन का मामला भी बनता है, जिसमें नियोक्ता और नियुक्त होने वाले कार्मिकों पर जांच की आंच आ सकती है।
किस तरह की अनिमितताएं?
नगर परिषद सिरोही में जिन लोगों को स्थायी नियुक्तियां दी गई थी उनमें से अधिकांश ओवरएज हैं। आरोप यह लगा कि इसके लिए विज्ञाप्ति नहीं निकाली गई और न ही कोई इंटरव्यू किया गया। इन्हें नियुक्तियां दे दी और इनकी तनख्वाहें भी बनवा दी। इनमें से दो जनें नगर परिषद में तैनात कार्मिकों के पुत्र, दो जनप्रतिनिधि के भाई तथा एक आयुक्त के गृह जिले का बताया जा रहा है।
इनका कहना है…
नगर परिषद में भर्ती किए गए कार्मिकों के मामले की जांच आई है। हमने सीसीटीवी कैमरे के मामले में सीधे जांच करके भेजी थी तो डीएलबी ने अपना जांच दल अलग से भेजा, इस मामले में हमने डीएलबी के ही जांच दल का इंतजार किया, लेकिन उन्होंने यह जांच हमें करने को भेजी है। अतिरिक्त जिला कलक्टर के पास है यह जांच।
वी. सरवन कुमार
जिला कलक्टर, सिरोही।
हां, नगर परिषद सिरोही में नियुक्तियां देने के मामले की जांच के आदेश आ चुके हैं। यह जांच किसी की शिकायत पर शुरू हुई है या स्वत: संज्ञान लिया गया है, यह पत्रावली देखकर ही बता पाउंगा।
प्रहलादसहाय नागा
अतिरिक्त जिला कलक्टर, सिरोही।
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