सिरोही। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति के बाद राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी करके माउण्ट आबू के जोनल मास्टर प्लान-2030 को तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया है।
यह मास्टर प्लान राज्यपाल की ओर से 29 अक्टूबर को हस्ताक्षर के बाद अस्तित्व में आ गया है। अब माउण्ट आबू में निर्माण, मरम्मत, नव निर्माण, संशोधन समेत निर्माण की अन्य गतिविधियां सुचारू हो पाएंगी। इस मास्टर प्लान के आधार पर नगर पालिका माउण्ट आबू निर्माण अनुमति दे सकेगी, जिस पर मॉनीटरिंग कमेटी के माध्यम से नजर रखी जाएगी।
केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के आदेशानुसार 25 जून, 2009 को माउण्ट आबू को ईको सेंसेटिव जोन घोषित करने की अधिसूचना जारी की गई थी। इसके बाद माउण्ट आबू में निर्माण गतिविधियों पर रोक थी। जोनल मास्टर प्लान लागू होने तक मॉनीटरिंग कमेटी के माध्यम से यहां पर मामूली निर्माण, मरम्मत, पुननिर्माण आदि की अनुमतियां दी गई, लेकिन इसमें काफी अनियमितताएं सामने आई। जिस पर कई जांच समितियां भी बैठी।
2011 में ही होना था लागू
कायदे से जोनल मास्टर प्लान को जून 2011 में ही लागू कर दिया जाना चाहिए थे, लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक उदासीनता के कारण ऐसा नहीं हो सका और यहां के लोग एक ईंट जोडने के लिए भी परेशान होते रहे।
राज्य सरकार ने जनवरी, 2015 को ही यह जोनल मास्टर प्लान दिल्ली में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के पास भिजवा दिया था, लेकिन वहां भी इसे नौ महीने तक अटकाए रखा गया और सितम्बर, 2015 को कुछ पाबंदियों के साथ इसकी स्वीकृति दी गई।
इसके अनुसार वर्तमान निर्मित क्षेत्र पर ही निर्माण किया जा सकेगा और गार्डन एरिया व अन्य संरक्षित क्षेत्रों में कंवर्जन की पाबंदी रहेगी। इस जोनल मास्टर प्लान के लागू होने के बाद माउण्ट आबू में जी प्लस टू पर व्यावसायिक निर्माण, सदर बाजार में जी प्लस 3 तक निर्माण तथा होटलों को जी प्लस वन तक निर्माण की अनुमति मिल सकेगी।
एनजीटी का खतरा भी
माउण्ट आबू में अवैध निर्माण व अतिक्रमण को लेकर भरत जैन ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई थी।
इसमें मॉनीटरिंग कमेटी की ओर से दी गई निर्माण अनुमति तथा अन्य अवैध निर्माणों पर वाद दायर किया गया था। इस मामले में सोमवार को हुई सुनवाई में राजस्थान उच्च न्यायालय ने वहां हुए अवैध निर्माणों व अतिक्रमणों की जांच संबंधित मामले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सौंपने के निर्देश दिए हैं। जैन ने बताया कि जोनल मास्टर प्लान के भी कई बिंदुओं की समीक्षा ग्रीन ट्रिब्यूनल को करने के लिए सौंपा गया है।
ऐसे में माउण्ट आबू में अब सुप्रीम कोर्ट के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती भी लागू होगी, जिससे अवैध निर्माणकर्ताओं के लिए समस्याएं बढ़ सकती हैं।