नई दिल्ली। भीषण बाढ़ से प्रभावित जम्मू कश्मीर और झारखंड में पांच चरणों में विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे। जम्मू कश्मीर विधान सभा का कार्यकाल 19 जनवरी और झारखंड विधानसभा का कार्यकाल तीन जनवरी को समाप्त हो रहा है। जम्मू कश्मीर की 87 विधानसभा सीटों तथा झारखंड की 81 विधानसभा सीटों के लिए पांच चरणों में मतदान भी साथ-साथ होंगे। मतगणना 23 दिसंबर को होगी।…
मुख्य चुनाव आयुक्त बी एस संपत ने शनिवार को चुनाव संबंधी घोषणा करते हुए बताया कि दोनों राज्यों में पहले चरण में मतदान 25 नवंबर को होगा जबकि दूसरे चरण में मतदान दो दिसंबर को होगा तथा तीसरे, चौथे एवं पांचवें चरण में मतदान क्रमश: नौ दिसंबर 14 दिसंबर एवं 20 दिसंबर को होगा। सभी चरणों के मतदान के लिए मतगणना 23 दिसंबर को होगी एवं 29 दिसंबर तक चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
संपत ने बताया कि पहले चरण में चुनाव के लिए अधिसूचना की तारीख दोनों राज्यों में अलग है लेकिन चुनाव कार्यक्रम की शेष सभी तिथियां दोनों राज्यों में एक ही होगी। उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर में पहले चरण के मतदान के लिए 28 अक्टूबर को अधिसूचना जारी हो जाएगी जबकि झारखंड में 29 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होगी क्योंकि 28 अक्टूबर को झारखंड में अवकाश है। इसे छोड़कर दोनों राज्यों में हर चरण के चुनावों में अधिसूचना जारी करने की तिथि, नामांकन पत्र भरने की अंतिम तिथि, नामांकन पत्रों की जांच की अंतिम तिथि तथा मतदान एवं मतगणना की तिथि एक ही होगी।
सम्पत ने बताया कि झारखंड में दो करोड़ सात लाख 44 हजार 776 मतदाताओं के लिए मतदाता सूची इस साल 31 जुलाई को प्रकाशित कर दी गई थी जबकि जम्मू कश्मीर के 72 लाख 25 हजार 559 मतदाताओं के लिए मतदाता सूची इस साल 15 अक्टूबर को प्रकाशित की गई थी। उन्होंने बताया कि झारखंड में 99.79 प्रतिशत फोटो मतदाता सूची जारी की गई है जबकि जम्मू कश्मीर में 94.2 प्रतिशत फोटो मतदाता सूची जारी गई है।
उन्होंने बताया कि झारखंड में 99.06 प्रतिशत मतदाता पहचानपत्र जारी किए गए हैं तथा जम्मू कश्मीर में 91 प्रतिशत मतदाता पहचान पत्र जारी किए गए हैं। झारखंड में 24648 मतदान केंद्र बनाए गए हैं जबकि जम्मू कश्मीर में 10015 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। दोनों राज्य चुनाव की दृष्टि से संवेदनशील हैं इसलिए दोनों जगह सुरक्षा की कड़ी एवं पर्याप्त व्यवस्था की गई है।
पर्याप्त संख्या में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल, राज्य सशस्त्र पुलिस बल तैनात किए जाएंगे एवं पर्याप्त संख्या में केन्द्रीय पर्यवेक्षक माइक्रो पर्यवेक्षक, पुलिस पर्यवेक्षक, छापामार दस्ते, निगरानी टीमें तथा आयकर उत्पाद करके अधिकारी भी तैनात किए जाएंगे। उन्होंनें बताया कि दोनों राज्यों में मतदाताओं के लिए वोटर फोटो स्लिप भी जारी किए जाएंगे तथा नोटा की भी व्यवस्था होगी।
जल्दी चुनाव के विरोध में नेशनल कांफ्रेंस
जम्मू कश्मीर में अगले महीने विधानसभा चुनाव कराए जाने के संबंध में शनिवार शाम की गई घोषणा के तत्काल बाद राज्य की सत्तारूढ पार्टी नेशनल कांफ्रेंस ने इतनी जल्दी चुनाव कराए जाने का विरोध किया।
मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने शाम चार बजे जम्मू कश्मीर के साथ झारखंड विधानसभा चुनाव की तिथियों की भी घोषणा की। घोषणा के अनुसार विधानसभा चुनाव पांच चरणों में होंगे और 23 दिसंबर को नतीजे सामने आ जाएंगे। दोनों राज्यों में पहले चरण का मतदान 25 नवंबर तथा पांचवें और अंतिम चरण का मतदान 20 दिसंबर को होगा।
नेशनल कांफ्रेंस ने कहा कि वह अगले महीने चुनाव कराए जाने का विरोध करता है जबकि विरोधी दल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस ने इस घोषणा का स्वागत किया है।
नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने कहा कि हम इस समय चुनाव कराए जाने का विरोध करते हैं क्योंकि लोग इस समय बाढ़ के बाद की तबाही जूझ रहे हैं। यह समय राहत और पुनर्वास पर ध्यान देने का है न कि चुनाव के बारे में सोचने का।
नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव ने कहा कि एक तरफ राज्य के लोगों की कठिनाइयां हैं तो दूसरी तरफ चुनाव और राजनीति है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र लोगों के कल्याण के लिए है और इस वजह से उनकी इच्छा के अनुसार चलना ज्यादा उचित है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के लिए हमेशा राज्य की जनता महत्वपूर्ण रही है और हमेशा रहेगी।
सागर ने कहा कि लेकिन यह दुखद है कि इस मुद्दे पर नेशनल कांफ्रेंस अलग थलग है क्योंकि पीडीपी और अन्य राजनीतिक दल लोगों के बजाय सत्ता को अधिक महत्व देते हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि जनता ऎसे दलों को माफ नहीं करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि पीडीपी हमेशा से सत्ता लोलुप रही है और सत्ता पाने के प्रयास में इसने कई गलत काम किए हैं।
इस बार तो इसने बेशर्मी के साथ राज्य की जनता की कठिनाइयों को अनदेखी की है ताकि सत्ता पाने का उनका सपना पूरा हो। मार्क्सवादी क म्युनिस्ट पार्टी के नेता मोहम्मद यूसुफतारगामी ने कहा कि हम राज्य में चुनाव कराए जाने की घोषणा का स्वागत करते हैं और जहां तक राहत एवं पुनर्वास कार्यक्रमों के चलाए जाने की बात है तो उसे बाढ़ प्रभावित लोगों के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि बखूबी कर सकते हैं।
कांग्रेस और भाजपा ने भी चुनाव की घोषणा का स्वागत किया है। नेशनल पैंथर्स पार्टी ने चुनाव के पहले राज्य में राज्यपाल का शासन लागू कराने की मांग की है।