झुंझुनू। चमगादड़ और काले रंग का रिश्ता सदियों पुराना है। शेखावाटी में भी इसी रंग के चमगादड़ बचपन से देखते आ रहे हैं। लेकिन झुंझुनू जिले के नवलगढ़ कस्बे में एक अलग तरह के चमगादड़ देखे जा रहे हैं।
सालों पहले यहां इंसान नहीं, बन्दर बना था रेलवे स्टेशन मास्टर
इन चमगादड़ों का रंग कुछ हल्का पीला है। यह सुनने व देखने में अजीब लगे लेकिन पीले रंग के चमगादड़ों ने इन दिनों नवलगढ़ के पोदार कॉलेज में डेरा डाल रखा है। जो प्राणी विज्ञान विषय के विशेषज्ञों के लिए शोध का विषय बना हुआ है। वहीं विद्यार्थियों के लिए भी यह कोतुहल का विषय बना हुआ है।
मिस्र में खुदाई में मिला 3,000 साल पुराना मकबरा
विशेषज्ञ की माने तो इस तरह के चमगादड़ को छोटा एशियन पीला चमगादड़ (स्कोटो स्केटोफिलस खुल्लीस) के नाम से जाना जाता है। ये आमतौर पर इंडोनेशिया, मलेशिया, पाकिस्तान, फिलिपिंस आदि एशियन देशों में पाए जाते हैं।
इस प्रजाति के चमगादड़ एक बार आंध्र प्रदेश में भी देखे गए थे। चमगादड़ों की यह प्रजाति शेखावाटी क्षेत्र में पहली बार नजर आई है। पीले रंग की चमगादड़ों की यह प्रजाति इंटरनेशनल यूनियन कंजरवेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की सूची में भी शामिल है।
आठ अंग वाले बच्चे का सफल आपरेशन, मिली नई जिंदगी
जानकारी के अनुसार यह कीटों को खाना पसंद करते हैं। इसका गर्भावस्था काल 105 से 115 दिन का होता है। इस प्रजाति की मादा चमगादड़ एक बार में दो बच्चे देती है। जानकारी के अनुसार छोटा एशियन पीला चमगादड़ को आद्रता वाला क्षेत्र रास आता है। यह पुरानी हवेलियों, किलों समेत उन स्थानों पर रहना पसंद करते हैं जहां मनुष्यों का आना जाना कम होता है।
सेठ जीबी पोदार कॉलेज नवलगढ़ के प्राणी शास्त्र विभागके अध्यक्ष डॉ.दाऊलाल बोहरा का कहना है कि छोटा एशियन पीला चमगादड़ की यह प्रजाति धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है। क्योंकि पुरानी हवेलियां व किले समाप्त होने व नए मकान व कॉम्पलेक्स बनने के कारण इन पर संकट आ गया हैं।
71 साल से विवाहित दंपती ने दूर होते हुए भी साथ…
यह एक बार में अनुमानित 1300 से 1500 कीट खाते हैं। जो कीट नियंत्रक के रूप में भी जाने जाते हैं। इनसे कीटों से होने वाली बीमारियों से बचाव होता है। अत: इन्हें बचाना आवश्यक है।
जानकारी के अनुसार इस चमगादड़ का पीला रंग सब कोडल ग्रन्थी से स्थापित पदार्थों की वजह से होता है। इसका रंग पीला होने के कारण यह रात के समय सोने की तरह चमकता हुआ दिखाई देता है। इस प्रजाति के चमगादड़ सूर्य के प्रकाश को भी कुछ हद तक सहन कर सकते है। शारीरिक रूप से इसकी पूंछ पंखों में सम्मिलित होती है। इसका सिर का आकार बड़ा व डोम्ब आकृति का होता है।