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पहले मोदी, फिर नीतीश और अब ममता की नैया पार लगाएंगे प्रशांत - Sabguru News
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पहले मोदी, फिर नीतीश और अब ममता की नैया पार लगाएंगे प्रशांत

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पहले मोदी, फिर नीतीश और अब ममता की नैया पार लगाएंगे प्रशांत
after modi and nitish kumar now prashant kishor will work for mamta banerjee
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नई दिल्ली। 2014  के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी की जीत में खास रोल अदा करने वाले इलेक्शन स्ट्रैटजिस्ट प्रशांत किशोर बिहार में नीतीश कुमार के लिए भी किंगमेकर साबित हुए।

कहा जा रहा है कि प्रशांत ने नीतीश के लिए चुनावी रणनीति तैयार की। इसी रणनीति के जरिए वे मोदी पर भारी पड़े। रविवार को प्रशांत किशोर नीतीश के सरकारी आवास पर नजर आए।

अब कहा जा रहा है कि वे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने वाले हैं। पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव होने हैं। पश्चिम बंगाल में बीजेपी के उभार के बाद मुश्किल का सामना कर रही ममता ने प्रशांत से डील के लिए संपर्क किया है।

इसके अलावा करूणानिधि की पार्टी डीएमके ने भी संपर्क साधा है, सूत्रों के अनुसार दोनों में से किसी एक दल से उनकी डील फाइनल हो चकी है।

पश्चिम बंगाल में टीएमसी का मानना है कि प्रशांत किशोर को साथ रखने से उन्हें मोदी और अमित शाह की काट तलाशने तथा शहरी इलाकों में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव से मुकाबले की रणनीति में मदद मिलेगी।

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नीतीश के लिए ये थी प्रशांत की रणनीति!

प्रशांत किशोर मोदी से दूरी बनाने के बाद एक करीब मित्र के जरिए बिहार इलेक्शन से पहले ही नीतीश से मिल चुके थे। नीतीश और प्रशांत की मुलाकात तब हुई थी जब जीतनराम मांझी मुख्यमंत्री बने थे। प्रशांत ने ही नीतीश को भरोसा दिलाया था कि वे फिर मुख्यमंत्री बन सकते हैं।

प्रशांत का कहना है कि मुझे पहले ही पता था कि नीतीश को बेचने के कई तरीके हैं। नीतीश के पास परफार्मेंस, पर्सनल्टी, एडमिनिस्ट्रेशन और हर वह बात थी जो किसी नेता में होनी चाहिए। बस हमारी कोशिश रही कि नीतीश को एक ताकतवर नेता के रूप में पेश करना।

गुजरात की तरह ही बिहार में प्रशांत ने नीतीश के लिए सतही तौर पर काम करना शुरू किया। चुनाव से पहले जून 2015  में वे अपनी टीम के साथ नीतीश के लिए चुनावी मैदान में उतरे।

नीतीश की जीत सुनिश्चित करने केलिए पूरी टीम ने बूथ लेवल पर आंकड़ों की समीक्षा की, मतदाताओं को गठबंधन की ओर आकर्षित करने के लिए कैंपेन चलाया। वोलेन्टियर्स का मैनेजमेंट और सोशल मीडिया पर नीतीश के लिए साथी जुटाने का काम किया।

जीतन राम मांझी के मुख्यमंत्री बनने के बाद ६ माह तक नीतीश कुमार को पार्टी के चेहरे के तौर पर प्रचारित किया। जनता के बीच नीतीश सरकार, सुशासन, विकास और बिहार की ब्रांडिग करने में पूरी ताकत झोंक दी।

बिहार में बीजेपी ने महागठबंधन की तुलना में जल्दी जल्दी अपने नारे बदले, वहीं प्रशांत किशोर ने चुनाव प्रचार के दौरान महज तीन-चार नारों का ही इस्तेमाल किया।

भाजपा के मुकाबले महागठबंधन के पास फंड की कमी थी। ऐसे में नीतीश को टीवी और प्रिंट में कम विज्ञापन देने की सलाह दी। प्रत्याशियों को डोर टू डोर प्रचार पर ज्यादा जोर दिया गया।

हर घर दस्तक कैंपेन जो हर हर मोदी हर घर मोदी की तर्ज पर था। मोदी के लिए तैयार चाय पे चर्चा की तर्ज पर पर्चे पे चर्चा और नाश्ते पे चर्चा जैसे प्रोग्राम चलाए।

नीतीश के लिए रेडियो पर विज्ञापन का सहारा लिया। नीतीश का लेटर कार्यकर्ताओं के जरिए घर घर भेजा। एक फोन नंबर पर वोटर्स से मिस्ड कॉल कराया और उनका रिकार्डेड मैसेज सुनाया।

नीतीश के जुडऩे के बाद सबसे पहले जेडीयू कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दी। पटना के 7 स्ट्रेंड रोड पर नीतीश के बड़े बंगले में वार रूम बनाया।

प्रशांत कुमार की रणनीति का कमाल रहा कि नीतीश राज्य की सभी 243 विधानसभा सीटों का दौरा करने में सफल रहे। नीतीश के शब्द वापसी और डीएनए कैंपेन के पीछे भी प्रशांत का ही दिमाग माना जाता है।