नई दिल्ली। कार्यस्थल में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले लगातार बढ़ रहे हैं लेकिन ज्यादातर कंपनियां इसके प्रति सजग नहीं है।
एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि अब भी कंपनियों में अनिश्चितता, सावधानी और आत्मनिरीक्षण का वातावरण है और यहां सरकारी अधिनियम के तहत पर्याप्त प्रावधान नहीं किये गये हैं।
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) के अनुसार कार्यस्थल पर महिलाओं के उत्पीड़न में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2013 में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की 249 शिकायतों (रिपोर्ट की गई) की तुलना में 2014 में यह संख्या दोगुनी होकर 526 तक पहुंच गई।
कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 का उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने, रोकथाम करने और शिकायतों के निवारण और इससे जुड़े मामलों के लिए सुरक्षा प्रदान करना है।
कार्यस्थल में महिला यौन उत्पीड़न की समस्या से निपटने के लिये अधिनियम भी बनाया गया है जिसके निर्धारित प्रावधानों का उद्देश्य सभी महिला कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना और सुशासन के तरीकों को अपनाना है।
इसके तहत आंतरिक शिकायत समिति का गठन,यौन उत्पीड़न की दंडात्मक परिणामों को कार्यस्थल पर प्रदर्शित करना, आईसीसी के सदस्यों के लिए ओरिएंटेशन कार्यक्रम और कर्मचारियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम की कंपनियों/ नियोक्ता द्वारा व्यवस्था करना अधिनियम के तहत अनिवार्य बनाया गया है।
इन सबके बावजूद भी कंपनियां अभी तक इनके प्रावधानों को अपनाने के लिये पूरी तरह से तैयार नहीं है। महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम के संबंध में फिक्की-ईवाई रिपोर्ट ‘फोस्टरिंग सेफ वर्कप्लेसेस’ ने एक अध्ययन कराया है। अध्ययन के तहत इस बात को जानने का प्रयास किया गया है कि क्या कम्पनियां कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए तैयार हैं?
सर्वेक्षण दिखाता है कि 31प्रतिशत कंपनियों ने आंतरिक शिकायत समिति का गठन नहीं किया।अनुपालन न करने वालों में 36 प्रतिशत भारतीय कंपनियां हैं जबकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मामले में यह आंकड़ा थोड़ा बेहतर 25 प्रतिशत है।
40 प्रतिशत कंपनियों के मामले में आंतरिक शिकायत समिति के सदस्यों को प्रशिक्षण दिया जाना अब भी बाकी है। इस संबंध में भारतीय कंपनियों का प्रतिशत 47 है। दूसरी ओर बहुराष्ट्रीय कंपनियों में यह आंकड़ा 34 प्रतिशत है।
सर्वेक्षण में शामिल 35 प्रतिशत कंपनियों को इस बात की भी जानकारी नहीं थी कि आंतरिक शिकायत समिति गठित न करने पर उनपर दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है। इस मामले में बहुराष्ट्रीय कंपनियां आगे हैं।
44 प्रतिशत कंपनियों ने अपने परिसर में यौन उत्पीड़न की स्थिति में दंडात्मक कार्रवाई से जुड़े प्रावधानों और चेतावनी को प्रदर्शित नहीं किया था। एसएमई सेक्टर में यह आंकड़ा 71प्रतिशत पाया गया, जहां कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों में कार्रवाई की चेतावनी को दर्शाया नहीं गया था।