नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के जनलोकपाल बिल उठाए गए सवाल के बाद आप नेता आशुतोष भी इस ट्वीट जंग में कूद पड़े हैं। उन्होंने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि यह सब भाजपा की शह पर उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए ही किया जा रहा है।
आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रभारी आशुतोष ने शनिवार को ट्वीट पर प्रशांत भूषण की पूरी टीम पर निशाना साधते हुए कहा है कि वह कभी भाजपा की आलोचना क्यों नहीं करते हैं। लगातार एक के बाद एक ट्वीट में उन्होंने भूषण की टीम पर करारा प्रहार किया है। उन्होंने लिखा कि इतनी जलन अच्छी नहीं । दुश्मनी में भी कुछ मर्यादा होती है । ताकि कभी मिले तो नज़र न झुकाना पड़ें ।
अरूण जेटली के इशारे पर पहले चुनाव हरवाना चाहा। उन्होंने भूषण से सवाल किया कि अब लोकपाल हड़पना चाहते है? क्यों ? देश देख रहा है और इतिहास भी ! केजरीवाल को कोसने के लिये इतना उतावलापन क्यों भाई ? यह सब किसको फ़ायदा पंहुचाने के लिये ? कभी मोदी बीजेपी की भी आलोचना कर ले ?
इससे पहले आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने जनलोकपाल बिल पर केजरीवाल सरकार को धोखेबाज ठहराया है। उन्होंने कहा कि यह लोकपाल बिल जानबूझकर केंद्र सरकार से टकराव के लिए बनाया गया है। इसे सरकार ने अपनी सहुलियत के लिए बनाया है उनका आरोप है कि इसको लेकर लोगों से सलाह नहीं ली गई।
भूषण ने दावा किया कि दिल्ली सरकार का नया जनलोकपाल विधेयक उससे अलग है, जिसका मसौदा अन्ना हजारे के नेतृत्व में एंटी करप्शन मूवमेंट के दौरान तैयार किया गया था क्योंकि स्वतंत्र लोकपाल की नियुक्ति एवं उसे पद से हटाना राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह जनलोकपाल बिल सरकारी लोकपाल से भी बदतर है। क्योंकि यह अपने सिद्धांतो से हट गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सत्ता के लिए यह सब कर रहे हैं। अरविंद जवाबदेही नहीं चाहते हैं। केजरीवाल ने देश और दिल्ली के लोगों के साथ धोखा किया है। लिहाजा, उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
उधर आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास भी ट्वीट के जरिये प्रशांत भूषण के दिल्ली जनलोकपाल बिल पर उठाए सवालों पर केजरीवाल का बचाव किया। कुमार ने ट्वीटर पर लिखा कि उन्हें वही जनलोकपाल बिल चाहिए, जो रामलीला मैदान में तैयार किया गया था।
यदि इसमें किसी भी तरह का संशोधन किया जाता है तो इससे पहले इस पर बहस होनी जरूरी है। उन्होंने यहां तक कहा है कि यदि पहले बनाए गए जनलोकपाल बिल से कोमा या फुलस्टॉप भी हटाया जाता है तो भी बहस होनी चाहिए।