जयपुर। पूर्व महापौर ज्योति खण्डेलवाल ने नगर निगम में वर्तमान बोर्ड के एक वर्ष पूरा होने पर भाजपा के महापौर द्वारा बताई गई उपलब्धियों को आडे हाथों लेते हुए बताया की महापौर अपनी उपलब्धियों में अधिकांश कार्य पिछले कार्यकाल में स्वीकृत किए गए कार्यो को गिना कर जनता को गुमराह कर रहें हैं।
शनिवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि वर्तमान बोर्ड उपलब्धियों के नाम पर शून्य हैं। एक वर्ष पूर्व वर्तमान बोर्ड ने केन्द्र सरकार व राज्य सरकार की तरह आम जन को अच्छे दिनों का सपना दिखाकर बहुमत हासिल किया था और आज जयपुर नगर निगम जनता की बुनियादीं जरूरतों को भी पूरा करने में नाकारा साबित हो रहा हैं।
शहर में सफाई व्यवस्था चरमराई हुई हैं, सीवर लाईने आये दिन जगह-जगह जाम होती रहती है, गौशाला में गायों के लिए चारा तक नसीब नहीं हो रहा, रोड लाईटे खराब है, अवैध निर्माण उद्योग जोर-शोर से चल रहा है।
उन्होने आरोप लगाया कि महापौर के नेतृत्व में बीट्स में भ्रष्टाचार सहित नगर निगम में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। वार्ड पार्षदो की अनुशंसा से विकास कार्य नहीं होने से वे जनता के कोप का भाजक बन रहे हैं, सडकें उधडी पड़ीं हैं। अधिकांश अस्थाई कर्मचारियो को आज भी ईएसआई, पी.एफ. की सुविधा नहीं देकर उनका शोषण किया जा रहा है।
पूर्व महापौर ने मौजूदा हालतों का खुलासा करते हुए कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत केन्द्र सरकार द्वारा करवाये गए सर्वे में जयपुर का स्थान 370वां व राजस्थान के जिलो में 27वां सथान है जो सारे हालत खुद बयां कर रहा है।
मौजूदा महापौर ने येन-केन प्रकारेण भवन निर्माण समिति पर खुद कब्जा कर रखा है। निगम कानून का भी खुला उल्लघंन हो रहा है क्योंकि पिछले एक वर्ष में साधारण सभा व कार्यकारिणी समिति की केवल दो बैठके हुई और उनमें भी जनहित के कामों की कोई चर्चा नहीं हुई।
मौजूदा महापौर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए खंडेलवाल ने कहा कि बीट्स घोटाले की जानकारी होने व पीएफ विभाग की 25 करोड की अनियमितताओं का खुलासा करने के बावजूद भी महापौर ने बीट्स के भुगतान की फाईल को लगातार स्वीकृति देकर भ्रष्टाचार में भागीदार रहने का काम किया है। गौशाला में गायो के लिए चारे का टेण्डर नहीं अब तक नहीं किया गयान है।
दीपावली पर पार्षदो की अनुशंसा से शहर में एक भी लाईट नहीं लगवाई गई। 21 वार्डो में लाईट मेंटीनेंस का ठेका भी नहीं किया गया। उन्होने आरोप लगया कि निगम के राजस्व में पिछले वर्षो की तुलना में कमी आई। होर्डिग्स से 2013-2014 में 3,480.59 की तुलना में 2,258.20 व जमीनों की नीलामी से 1356.01 की तुलना में 557.49 राजस्व वसूला गया जो कि काफी कम था।
निगम की अधिकांश समितियॉ निरंकुश हो गई हैं स्वयं महापौर की भवन निर्माण समिति ने आज तक एक भी भवन निर्माण स्वीकृति जारी नहीं की। अक्टुबर माह तक 11 महिनो में केवल 16 वार्डो में 50 लाख के वर्क आर्डर जारी किए गए, जिनमें से 13 वार्ड भाजपा के पार्षदो के थे। कांग्रेसी पार्षदो के वार्डो की पूरी उपेक्षा की गई।