मुंबई। देश में इस समय जो वातावरण है, उसके वर्णन के लिए असहिष्णुता शब्द कम पड़ रहा है। अनिष्ठ प्रथा के विरुद्ध बोलना लेखकों के लिए प्राणघातक साबित हो रहा है। विचार व्यक्त करने वालों को गोली से शांत किया जा रहा है। इन स्थितियों में विचार किस तरह व्यक्त किया जा सकता है।
पुलिस के संरक्षण में काम करना पड़ रहा है। यह जानकारी वरिष्ठ लेखिका अरुंधति राय ने महात्मा फुले समता पुरस्कार ग्रहण करते हुए उपस्थित जनसमुह को दिया है। इस अवसर पर पूर्व मंत्री व अखिल भारतीय समता परिषद के अध्यक्ष छगन भुजबल सहित तमाम पदाधिकारी उपस्थित थे।
अरुंधति राय ने कहा कि इस समय जिस तरह लोगों को मारा पीटा जा रहा है, लोगों को जलाया जा रहा है , इस तरह के माहौल का वर्णन करने के लिए असहिष्णुता शब्द की जगह अन्य शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए। वर्तमान समय में सभी जगह दलित व पिछड़े वर्ग को दबाने का काम किया जा रहा है।
देश चलाने वालों द्वारा भारत हिंदू राष्ट्र है, इस तरह की बात की जा रही है और उनकी संस्थाओं द्वारा भारत के इतिहास को बदलने का प्रयास किया जा रहा है।
राय न कहा कि डॉ. आंबेडकर व महात्मा फुले ने हिंदू धर्म छोड़ दिया था और इस समय उनका हिंदूकरण किया जा रहा है। इस अवसर पर छगन भुजबल व अन्य नेताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
अभाविप ने किया विरोध
पुणे में समता परिषद के इस कार्यक्रम का तीव्र विरोध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से किया गया। इसके फलस्वरुप कार्यक्रम स्थल पर पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और पुलिस ने कुछ अभाविप कार्यकताओं को हिरासत में लिया, इसके बाद कार्यक्रम में लेखिका अरुंधति राय का भाषण हो सका था।