ग्वालियर। ग्वालियर शहर के दो युवकों ने रविवार रात उत्तरप्रदेश के तालबेहट स्टेशन के पास पर एक बुजुर्ग को छूट चुकी ट्रेन पर चढ़ाने के लिए खुद की जान गंवा दी।
सिग्नल क्लियर नहीं होने पर हबीबगंज से हजरत निजामुद्दीन जा रही ट्रेन रुकी तो एक बुजुर्ग यात्री लघुशंका के लिए नीचे उतर गए। फारिग होने से पहले ट्रेन चल दी तो बुजुर्ग अपने डिब्बे में चढऩे के लिए ट्रेन के पीछे दौडऩे लगे।
यह देख वहां मौजूद ग्वालियर स्थित नई सडक़ निवासी युवक राजकुमार और संजय ने मिलकर बुजुर्ग को कंधों पर उठाया और उन्हें लेकर ट्रेक पर दौड़ पड़े।
युवक बुजुर्ग यात्री को ट्रेन में चढ़ाने में तो वह कामयाब हो गए, लेकिन इस चक्कर में खुद ट्रैक पर आई पुलिया पर ध्यान नहीं दे पाए। पुलिया से टकराकर उनका संतुलन बिगड़ा, और दोनों नीचे गहरी खाई में जा गिरे। ऊंचाई से गिरने की वजह से पत्थरों से टकरा कर उन्हें गहरी चोटें आईं, जिससे उनकी मौत हो गई।
संजय और राजकुमार को गिरा देख यात्रियों ने ट्रेन रुकवा दी। जानकारी मिलने पर ट्रेन में मौजूद आरपीएफ के जवान नीचे गिरे युवकों को उठाने उतरे। संजय और राजकुमार लहूलुहान पड़े हुए थे उनकी मौत हो चुकी थी। शवों को रख कर उनकी जेबों से मिले मोबाइलों से दोनों के परिजन को सूचना दी गई। सोमवार सुबह दोनों का पोस्टमार्टम कर शव परिजन के सुपुर्द कर दिए गए।
क्षण मात्र में हो गई दानों बहनों की मांग सूनी
ग्वालियर के लश्कर निवासी रामकुमार उर्फ पम्मी श्रीवास उसका साढूृ संजय पुत्र बाबू के भोपाल में रहने वाले एक रिश्तेदार की मौत हो गई थी। अतः दोनों साढृू भाई अपनी-अपनी पत्नियों क्रमशः राधा व आरती को साथ लेकर भोपाल गए थे। वहां से वापस ग्वालियर आने के लिए वे हबीबगंज से हजरत निजामुददीन जाने वाली ट्रेन क्रमांक 12155 हबीबगंज एक्सप्रेस के स्लीपर कोच एस-7 में सवार हो गए।
ट्रेन भोपाल से चली और ललितपुर रेलवे स्टेशन पार करने के बाद सिग्नल ना मिलने की बजह से माताटीला व तालबेहट के मध्य एक पुल पर रूकी हुई थी, स्लीपर कोच एस-7 जहां रूका, उसके नीचे एक गहरी खाई थी।
ट्रेन के रूकते ही रामकुमार व संजय अपनी सीट से उठकर दरवाजे की ओर आ गए। कुछ समय बाद अचानक शोर हुआ कि उक्त दोनों युवक गहरी खाई में गिर गए हैं। यह सुनते ही बोगी में बैठी उनकी पत्नियां राधा व आरती भी बाहर की ओर भागी।
उन्होंने पाया कि दोनों रक्तरंजित अवस्था में गहरी खाई में अचेतावस्था में पड़े थे। दोनों को सवारियों की मदद से खाई से निकाल लिया। लेकिन तब तक दोनों की मौत हो चुकी थी।
झाॅसी स्टेशन पर जैसे ही गाड़ी पहुंची तो यहाॅं पर पूरा अधिकारियों व डाॅक्टर्स, आरपीएफ, का जमावड़ा लगा हुआ था। यहाॅं जैसे ही गाड़ी रूकी डाॅक्टर्स ने उन दोनों शवों को झाॅसी उतारने के लिए कहा लेकिन यात्रियों व उनकी पत्नियों की जिद की बहज से शवों को नहीं उतारा जा सका। अंततः गाड़ी अपने गन्तब्य के लिए फिर रवाना हो चुकी थी।
बेसहारा हो गया विकलांग बेटा
नई सडक़ निवासी जैसे-तैसे गुजर बसर कर रहे राजकुमार के घर में एक विकलांग बेटे के अलावा कोई नहीं है। पिता के जाने के बाद विकलांग बेटू बेसहारा हो गया है। हालांकि रिश्तेदारों ने उसे सहारा दिया है, लेकिन विकलांग किशोर पिता के जाने से गुमसुम हो गया है।