नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में संविधान पर हुई दो दिवसीय चर्चा पर जवाब देते हुए राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश की राजनीति सिर्फ तू-तू मैं-मैं करने से नहीं चलेगी।
इसके लिए हमें समता के साथ ही ममता का भी ख्याल रखना होगा और एक साथ रहने से ही देश का विकास संभव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हिंदुस्तान के 125 करोड़ भारतीयों की देशभक्ति पर कोई शक नहीं किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संविधान निर्माण एक महान कार्य था और गत 26 नवंबर को संसद में जो कार्यक्रम रखा गया, वह इसके निर्माताओं को नमन करने के लिए रखा गया था। ताकि संविधान के बारे में आने वाली पीढ़ी जान सके । इसके लिए हमें जागरूक बनना होगा और नयी पीढ़ी को संविधान से अवगत कराना होगा। उन्होंने कहा कि यह देश हर किसी के सकारात्मक योगदान का परिणाम है और सभी के योगदान को जोड़कर ही देश को विकसित बनाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश की सफलता संसद के दोनों सदनों के बीच सहयोग पर निर्भर करती है । श्रेष्ठ लोग जो भी काम करते हैं, लोग उनका अनुसरण करते हैं। देश हमारी तरफ देख रहा है और हमारी कुछ जिम्मेदारियां हैं, जो हमें निभानी हैं । देश तब तक चल पाएगा जब तक समता भी हो और ममता भी हो। अगर समाज में किसी के साथ अत्याचार होता है तो यह देश के ऊपर कलंक होता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देते हुए कहा कि बिखरने के बहाने बहुत हैं , लेकिन जोड़ने के लिए अवसर खोजने पड़ते हैं । लोगों को जोड़ने का मंत्र देना ही हमारा दायित्व है और संविधान हमारा मार्गदर्शक है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारा संविधान कानूनी रूप से ही समर्थ नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक दस्तावेज भी है । हमें संविधान सभा के सदस्य रहे लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए क्योंकि उनको कितने दबावों का सामना करना पड़ा होगा, फिर भी वह बेमिसाल संविधान लेकर आए।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि सरकार का इरादा यह नही हैं कि हर साल संविधान पर बहस हो लेकिन इस बार बाबा साहेब आंबेडकर की 125 वीं जन्मतिथि पर यह कार्य किया गया।