नई दिल्ली। मजदूरों को न्यूनतम वेतन दिलाने एवं उनके हितों की रक्षा करने वाला न्यूनतम वेतन दिल्ली (संशोधन विधेयक) 2015 एवं पत्रकारों की सेवा शर्तों को नियमित करने वाला कार्यरत पत्रकार एवं अन्य समाचार पत्र कर्मचारी (सेवा की शर्तें ) और अन्य उपबंध (दिल्ली संशोधन) विधेयक, 2015 कुछ संशोधनों के साथ गुरूवार को विधानसभा में पारित कर दिये गये।
न्यूनतम वेतन दिल्ली (संशोधन विधेयक) के प्रावधानों के अनुसार कम वेतन देने एंव सेवा शर्तों का उल्लंघन करने पर नियोक्ता के खिलाफ 50 हजार का जुर्माना लगाया जायेगा एवं उसे तीन साल की सजा हो सकती है।
इसके अलावा इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि श्रम आयुक्त के पास मामले की शिकायत करने एवं मामले की कार्यवाही चलने तक नियोक्ता कर्मचारी को हटा नही सकता।
मजदूरों का शोषण करने पर नियोक्ता को एक साल तक की सजा हो सकती है। साथ ही के वेतन का इलेक्ट्रोनिक क्लीरेंस सिस्टम (ईसीएस) के माध्यम से मजदूर के खाते में भुगतान किया जाएगा।
इसके अलावा कार्यरत पत्रकार एवं अन्य समाचार पत्र कर्मचारी (सेवा की शर्तें) और अन्य उपबंध (दिल्ली संशोधन) विधेयक,2015 के अनुसार नियोक्ता कंपनी (प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक) यदि पत्रकार को न्यूनत्तम वेतन नही देती या उससे समय से ज्यादा काम कराती है तो कंपनी पर 50 हजार तक का जुर्माना हो सकता है । पहले इसके लिए 200 रूपये का जुर्माना लगता था ।
इस संबंध में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम मजदूरों एवं पत्रकारों के लिए उपयुक्त माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं । सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को न्यूनतम वेतन दिलाए तथा उनके शोषण को रोके। इसी उददेश्य से ये विधेयक लाया गया है।
वहीं पत्रकारों को भी न्यूनतम वेतन मिले इसीलिए सरकार यह विधेयक लेकर आयी है। उन्होंने कहा कि देखा जाता है कि बड़े मीड़िया संस्थान मोटा मुनाफा कमाते है लेकिन पत्रकारों को ज्यादा नही देते । इस तरह की बातें छोटे संस्थानों में देखने के लिए ज्यादा मिल रही है। पत्रकारों की सेवा शर्ते नियमित करने वाले विधेयक से पत्रकारों की स्थिति में सुधार आएगा।