नई दिल्ली। भारतीय रक्षा वैज्ञानिकों ने आग लगने पर बहुमंजिली इमारतों में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए एक इमरजेंसी इस्केप शुट (ईईसी) नामक युक्ति को विकसित किया है। जिसे दिल्ली स्थित आईआईटी में आयोजित विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं औद्योगिक एक्सपो में प्रदर्शित किया जा रहा है।
ईईसी का विकास रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के तहत कार्यरत सेंटर फार फायर, एक्सप्लोसिव एंड एनवायरमेंट सेफ्टी (सीएफईईएस) के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है।
सीएफईईएस के उप निदेशक डा. प्रवीण राजपूत ने बताया कि इसके जरिये 50 मीटर तक ऊँची इमारत से लोगों को सुरक्षित निकाला जा सकता है। गोलाकार जाली के आकार वाले इस उपकरण का पेटेंट प्राप्त किया जा चुका है और शीघ्र ही इसका प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण (टेक्नोलॉजी ट्रांसफर) होगा। जिसके बाद से इसका सार्वजनिक उपयोग किया जा सकेगा।
यह गोलाकार आकार की बहुत लंबी जाली है जिसे आग लगने अथवा प्राकृतिक आपदा के समय इमारत की किसी भी मंजिल से लटकाकर उस मंजिल में रहने वाले सभी लोगों को सुरक्षित जमीन पर उतारा जा सकता है।
इसकी जाली अत्यंत मजबूत अग्निशमन पदार्थ ‘‘केवियर फायबर’’ से बनी होती है। यह जाली पांच टन तक का वजन संभाल सकती है। इस्पात से भी अधिक मजबूत इस जाली को आग से किसी तरह का नुकसान नहीं होता है।
इस लंबी गोलाकार ट्यूबनुमा जाली में एक-एक मीटर के अंतराल पर अल्युमिनियम मिश्रधातु निर्मित छल्ले लगे हुये हैं जिसके जरिये लोग ऊपर से नीचे उतर सकते हैं। इसे आसानी से कही भी ले जाया जा सकता है और प्राकृतिक आपदा की स्थिति में बहुमंजिली इमारत के किसी भी हिस्से से लटकाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि ईईसी के विकास का उद्देश्य हाइड्रोलिक लिफ्ट या स्टील से बनी टावर एवं एरियल सीढ़ी का सस्ता एवं कारगर विकल्प पेश करना है। इसमें जरूरत के अनुसार परिवर्तन करना संभव है। इसका इस्तेमाल राहत कार्यों में भी हो सकता है। इसे किसी हेलीकाप्टर के साथ लटका कर लोगों को किसी आपदाग्रस्त इलाके से बाहर निकाला जा सकता है।
सीएफईईएस ने हल्के वजन के ‘‘फायर प्रोक्सिमिटी श्यूट’’ का भी विकास किया है, जिसमें सुरक्षात्मक पदार्थों की पांच परतें हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल इसकी कीमत 80 से 90 हजार रूपये प्रति मीटर है और पर्याप्त लंबाई वाले उपकरण की कीमत 15 लाख रूपये के आसपास पड़ेगी।
इसका व्यावसायिक उत्पादन शुरू होने पर इसकी कीमत में काफी कमी आयेगी। इसका इस्तेमाल अग्निशमन विभाग और नागरिक सुरक्षा एजेंसियां कर सकती हैं।