घटना – 14 दिसम्बर,1971, स्थान श्रीनगर एयर बेस, समय- सुबह अचानक पाकिस्तान ने एफ-86 ‘सैबर जैट’ विमानों से नीची उडान भरते हुए अचानक श्रीनगर वायू सैना अड्डे पर अपनी नापाक नजर डाली और ताबड तोड हमला शुरू कर दिया।
इस घटना से भौंचक किसी भी भारतीय पायलट को उडान भरने का मौका नहीं मिला और एक के बाद एक 6 सैबर जैट श्रीनगर वायू सैना बेस को और वहां तैनात ‘18 फ्लाइंग बुलेट्स’ स्क्वाॅड्रन के विमानों को निशाना बनाने लगे।
बेस पर तैनात एक 28 वर्षीय युवा फ्लाइंग आॅफिसर को यह सहन न हो सका और अपने साथियों और अफसरों को कुछ भी समझने का मौका दिए बिना वह गोलियों की बौछारों के बीच अपने छोटे से फाॅलैंड नैट विमान पर दौडता हुआ चढ गया और बाघ की फुर्ती से आसमान की ओर झपट पडा जहाँ सैबर जैट मौत बन कर मंडरा रहे थे।
जिस प्रकार बाघ को झपटता देख कुत्तों का झुंड तितर बितर हो जाता है ठीक उसी तरह सैबर जैटों में खलबली मच गई और वे हमला करना छोड नैट से पीछा छुडाने में लग गए। श्रीनगर के आकाश में 6 सैबर जैटों कों एक -एक कर निशाना बनाते हुए उस शूरवीर ने 1 सैबर जैट को जमींदोज कर दिया और दूसरा बुरी तरह क्षतिग्रस्त होकर लपटों से घिरा वापस भाग छूटा।
इसी बीच बाकी बचे सैबर जैटों ने नन्हे से नैट को चारों ओर से घेर कर निशाना बनाना शुरू कर दिया पर नैट का पायलट अपने हुनर का पक्का था, परम्परा के अनुरूप उसने अपने गुरू की कहावत ‘सवा लाख से एक लडाऊँ तभी गोविन्द सिंह नाम कहाऊँ’ को चरितार्थ करते हुए चारों सैबर जैटों पर बुरी तरह प्रहार करते हुए उन्हे भारी क्षति पहुंचाई लेकिन पेड की ऊंचाई पर डाॅग फाईट के चलते वह उन्हे उनके बाकी दो साथियों की तरह अंजाम तक पहुंचा पाता उससे पहले ही उसका पूरी तरह से छलनी हो चुका छोटा सा नैट विमान क्रै्श हो गया और वह शूरवीर वीरगति को प्राप्त हो गया।
लेकिन उसके साहस से बुरी तरह घबरा चुके चारों पाकिस्तानी सैबर जैट पायलटों ने हमला बीच में ही छोड कर अपनी जान बचा कर भागना उचित समझा। उस परमवीर की शहादत काम आई और उसने श्रीनगर वायू सैना बेस को सुरक्षित बचा लिया जिससे दुश्मन का मनोबल पूरी तरह टूट गया।
भारतीय वायू सैना के उस अमर शहीद हवाबाज को भारत सरकार द्वारा मरणोंपरान्त परमवीर चक्र से नवाजा गया जो आज तक भी भारतीय वायू सैना का इकलौता परमवीर चक्र विजेता जाँबाज हैैैै जिसका नाम था निर्मल जीत सैंखों उन शहीदों की परम्परा में से एक था जिन्हे आज हम तरक्की की चकाचैंध में भुला चुके हैं पर आज भी भारत की आजादी इन्ही शहीदों इसलिए एकबार फिर उठो और 14 दिसम्बर उस परमवीर निर्मल जीत सिंह सैखों की शहादत के दिवस पर ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आँख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुरबानी जिनकी निगहबानी में ये देश आज ‘जय हिन्द’