रांची। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि युवा अपने तकनीकी ज्ञान समाज के उत्थान में लगाए और जीवन की चुनौती को स्वीकार करते हुए आगे बढ़े। उन्होंने छात्रों से कहा कि यहां से जाने के बाद वे वास्तविक दुनिया में प्रवेश करेंगे लेकिन वहां की समस्याओं से डरे नहीं बल्कि डटकर कर सामना करें।
राष्ट्रपति रविवार को बीआइटी के 26वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद ही देश में उच्च शिक्षा के लिए बहुत काम हुए। तकनीकी ज्ञान के कारण ही विश्व में भारत की अलग पहचान है।
90 मिलियन टन स्टील का उत्पादन कर भारत का विश्व में चौथा स्थान पर है। इसके साथ ही ऑटोमोबाइल कोल सीमेंट सहित इलेक्ट्रॉनिक सामान में विश्व में तेजी से उभरता हुआ बाजार है। परचेजिंग पावर में भी भारत का अच्छा स्थान है इसमें तकनीकी संस्थानों का बहुत बड़ा योगदान है।
उन्होंने कहा कि तकनीकी का ज्ञान भारत में गरीबी उन्नमूलन में लगा है। उच्च शिक्षा में बहुत काम हुये। जरूरत है इसे और बढ़ाने की। इसमें निजी स्थानों का बहुत बड़ा योगदान है। फिलहाल भारत में 59 प्रतिशत निजी संस्थानों का उच्च शिक्षा में योगदान है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में विश्व के दो सौ तकनीकी संस्थानों में भारत के दो ही तकनीकी संस्थान ने अपना स्थान बना पायी है। शिक्षा के क्षेत्र में संयुक्त बिहार के नालांद, विक्रमशीला विश्वविद्यालय का बहुत बड़ा योगदान है, जो विश्व प्रसिद्ध है।
उन्होंने कहा कि शोध के क्षेत्र में ज्यादा जोर देने की जरूरत है और उच्च शिक्षा में बड़े-बड़े तकनीकी विश्वविद्यालयों के साथ एमयू कर संस्थान की स्थापना करने की आश्वयकता है। विद्यार्थियों को नवीन प्रयोग करने की आवश्कता है। उद्यमशीलता को बढावा दें।
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि नौकरी पाने से ज्यादा नौकरी देने पर ध्यान दें। अपने अंदर इतनी काबलियत पैदा करें कि नौकरी दे सकें। मौके पर राष्ट्रपति ने दस उत्कृष्ट विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया। राष्ट्रपति से मेडल पाकर खुशी से विद्यार्थी झूम उठे।
सम्मानित होने वाले विद्यार्थी
अनुपमा ए शरण, स्वर्ण कुमार पात्रा, अकुंश सिंह, शांत प्रसाद, अंकिता साक्षात्कार, मोदी गर्ग, उत्सव गिरी, कुमार श्रेय, आकाश कुमार और चांदनी कुमारी। इसके अलावा 1365 विद्यार्थियों को उपाधि देकर सम्मानित किया गया।