वाराणसी। पतंग उड़ाने वालों के बीच चायनीज मंझा काफी लोकप्रिय हो रहा है लेकिन उन परिवारों के लिए एक नासूर बनता जा रहा है जिनके घर के बच्चे चायनीज मंझे का शिकार होकर अब इस दुनिया में नहीं रहे। इसके बाद भी इन पर रोक लगाना मुश्किल हो रहा है।
काशी में रविवार सुबह एक और युवक चायनीज मंझे का शिकार होकर अस्पताल पहुंच गया है।जानकारी के अनुसार चोलापुर थाना क्षेत्र के उदयपुर गांव का 26 वर्षीय युवक जितेंद्र सेठ बाइक से रविवार सुबह इमिलिया बाजार को निकला था।
वह बाजार पहुंचा ही था कि कहीं से चायनीज मांझा आया और उसके गले को रेत दिया। चलती बाइक से जितेंद्र गिर पड़ा। गले से खून निकलते देख लोगों ने पहले सोचा कि अचानक बाइक से गिरने से उसे चोट लगी है लेकिन किसी तरह जितेंद्र ने बताया कि चायनीज मंझे से गला कटा है और उसके गले की नस कट गई है।
आनन-फानन में एंबुलेंस के जरिए उसे अस्पताल पहुंचाया गया जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। जितेंद्र फेरी लगाकर आभूषण बेचने का काम करता है।
पहले भी हुए हैं चायनीज मंझे के शिकार
1- वाराणसी के मंडुवाडीह स्थित नई बस्ती निवासी अनिल रावत के इकलौते पुत्र रोहित को उसकी बुआ घर के सामने साइकिल पर बैठा कर घुमा रही थी। पतंग का मंझा उसके गले में फंस गया और उससे गले की नस कट गई। आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसने दम तोड़ दिया था।
2- सैदपुर के वार्ड संख्या पांच निवासी रोहित पाठक को पतंगबाजी को बहुत शौक था। पिछले साल पतंग बाजी करते समय अचानक मंझा उनके हाथ में उलझ गया। हवा तेज होने की वजह से शीशे की बारीक कणों से युक्त मंझे से उनकी दो उंगलियां कट गई। तुरंत उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। काफी इलाज के बाद वे ठीक हो पाए थे।
3- सैदपुर के वार्ड संख्या चौदह निवासी प्रिंस अपने साथियों के साथ पतंग उड़ा रहा था। इसी दौरान किसी अन्य पतंग का मंझा उनके हाथ को रगड़ते हुए गुजरा जिससे उंगलियां कट गईं थीं।