जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि राज्य सरकार पर फोन टेप करने के मैंने जो आरोप लगाए थे उसकी पुष्टि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के हाल ही जयपुर दौरे पर उनके व्यवहार से सामने आई जब उन्होंने तमाम मंत्रियों और पार्टी नेताओं को मीटिंग में बिना फोन के उनके पास आने की हिदायत जारी की।
गहलोत ने बुधवार को यहां एक बयान जारी कर कहा कि फोन टेपिंग के मुद्दे को लेकर पूरे प्रदेश में चिंता व्याप्त है। यह बहुत बड़ा अपराध है। किस स्तर पर किस रूप में टेलीफोन टेप करने के आदेश किए गए। कम्पनियों ने बिना गृह मंत्रालय के आदेश के कितने टेलीफोन टेप किए इसका खुलासा होना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पिछले दो साल में टेलीफोन टेपिंग को लेकर समीक्षा हेतु कितनी बैठकें हुई और एसीएस गृह ने किनके टेलीफोन टेप करने की अनुमति दी एवं बिना अनुमति के कितने और किनके टेलीफोन टेप किए गए। इस पर सरकार ने क्या कार्रवाई की है।
आज भी फोन टेपिंग को लेकर जो आशंका और संदेह के चलते राजनेताओं और विशेषकर अधिकारियों में भय व्याप्त है जो मैंने अधिकारियों के व्यवहार से महसूस किया है।
इसके साथ ही सबसे बड़ा प्रश्न हमारे सामने यह है कि ऐसे माहौल में संविधान के अंतर्गत प्रत्येक नागरिक को फ्रीडम ऑफ स्पीच और फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन का जो मूलभूत अधिकार प्राप्त है उसको सुनिश्चित कौन करेगा?
गहलोत ने कहा कि असल में राजस्थान में टेलीफोन टेप करने की बड़ी घटनाएं हुई हैं। प्रदेश में अधिकृत अधिकारियों के अलावा विशेष रूप से जयपुर कमिश्नरेट में किसके इशारे पर फोन टेप किए गए हैं इसका खुलासा किया जाना चाहिए।