कानपुर। कानपुर मेडिकल कॉलेज के पास चाय का ठेला लगाने वाले को व्यापम घोटाले के चलते जब मध्यप्रदेश की कोर्ट में हाजिर होने का फरमान मिला तो चाय वाले की रातों की नींद उड़ गई। इसके बाद बस उसके जहन में एक ही सवाल था, कि कौन सा व्यापम, कौन सा घोटाला और मुझे क्यों कोर्ट ने बुलाया।
यह सारे सवालों का जवाब जानने के लिए जब राजू चाय वाला मध्य प्रदेश की सीबीआई के विशेष न्यायाधीश सागर अजीत सिंह की कोर्ट में पहुंचा, तो उनको सवालों का जवाब देते हुए सबसे न्यायाधीश से बोला कि साहब आपने मुझे क्यों बुलाया और डरे शब्दों में बोलता रहा साहब यह व्यापम क्या है और इस व्यापम से मेरा आखिर क्या लेना-देना है। मैं तो एक साधारण चाय की दुकान लगाने वाला हूं।
राजू ने बताया कि कोर्ट में उसे एक युवक की फोटो दिखाई गईं और उससे पूछा गया कि क्या इसे पहचानते हो, तो उसने जवाब में कहा साहब मैं नहीं पहचानता हूं इस फोटो वाले को। बाद में उससे पूछा गया इन दस्तावेजों पर तुम्हारे हस्ताक्षर हैं की नहीं, तो राजू ने कहां हां साहब यह हस्ताक्षर मेरे ही है। लेकिन साहब मुझे अच्छे से याद है एक सिपाही चौकी से आया था और मुझे ले जाकर उसने यह हस्ताक्षर कराए थे। मुझे कुछ बिना बताए चौकी से वापस कर दिया था।
राजू ने बताया कि इतना सुनने के बाद जज साहब ने मुझे जाने को बोल दिया और आदेश दिया कि राजू चाय वाले को यात्रा भत्ता के लिए 740 रुपए दिए जाएं। लेकिन राजू ने रूपए लेने से मना कर दिया और कहां साहब भले ही मुझे पैसा न दो, लेकिन दोबारा मुझे न बुलाना। मैं बहुत गरीब आदमी हूं।
कोर्ट ने व्यापम घोटाले में पुलिस द्वारा बेगुनाहों को सम्मन दिए जाने पर फटकार लगाई और हिदायत दी है कि आगे ऐसा हुआ तो मुकदमा दर्ज कर संबंधित पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह पूरी दास्ता मध्यप्रदेश सीबीआई कोर्ट से लौटने के बाद हैलट के पास चाय का ठेला लगाने वाले राजू ने मीडिया को बताई।
क्या था मामला
मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले के पिटारे से हर दिन कुछ न कुछ देखने और सुनने को मिलता है। इसी कड़ी में सीबीआई की विशेष आदालत ने कानपुर के एक चायवाले राजू को सम्मन जारी कर हाजिर होने का आदेश दिया था। राजू के सीबीआई कोर्ट में एक आरोपी के खिलाफ साक्ष्य देने के लिए बुलाया गया था।
कानपुर के मेडिकल कॉलेज के पास में चाय का ठेले लगाने वाले राजू को नोटिस रिसीव कराने एमपी पुलिस का सिपाही आया, तो राजू के होश उड़ गए थे। वह सिपाही से ही पूछने लगा कि उसे किस अपराध में बुलाया गया है, लेकिन सिपाही न कुछ नहीं बताया और कोर्ट में 13 तारीख को हाजिर होने की बात कहकर चला गया।