नई दिल्ली। फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांकोइस होलांदे को भारतीय गणतंत्र की 67वीं सालगिरह पर मुख्य अतिथि बनाने के मोदी सरकार के फैसले का असर भारत-फ्रांस के आर्थिक संबंधों पर दिखाई दे रहा है।
अपनी भारत यात्रा में फ्रांस के राष्ट्रपति ने भारत में फ़्रांसिसी कंपनियों के माध्यम से हर साल एक अरब डॉलर के अतरिक्त निवेश करने पर सहमति जताई है। खुद राष्ट्रपति होलांदे ने ऐलान किया है कि फ्रांस सरकार भारत में अगले कुछ ही साल में 8 अरब डॉलर का और निवेश करेगी।
यह निवेश भारत में मौजूद एक हजार फ्रांसीसी कंपनियां के माध्यम से किया जाएगा। हालांकि फ्रांस के राष्ट्रपति ने स्वीकार किया है कि भारत-फ्रांस के बीच आर्थिक संबंध में पिछले कुछ साल से सुस्ती थी। लेकिन नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा और पेरिस हमले के बाद मोदी सरकार का फ्रांस को दिया गया समर्थन में विश्व मंच पर खड़े होने से अब भारत-फ्रांस बेहतर बिजनेस पार्टनर होने की राह पर हैं।
परिवहन, साइबर सुरक्षा, परिवहन सिग्नल, नौपरिवहन, सूचना प्रौद्योगिकी जैसे कई क्षेत्रों में फ्रांस, भारत के साथ साझेदारी करना चाहता है और नौ फ्रांसीसी कंपनियों का भारतीय कंपनियों के साथ समझौते इसी का संकेत है।
फ़्रांसिसी कंपनी एलस्ट्रॉम भारतीय रेल परिवहन में ट्रेन कंट्रोल सिस्टम की सबसे बड़ी सप्लायर है। वहीं भारत के रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प करने का प्रोजेक्ट फ्रांसीसी कंपनी एसएनसीएफ कर रही है। फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट सिस्टम 100 से ज्यादा भारतीय खनन कंपनियों के साथ काम कर रही है। इसी तरह फ्रांस की पोमा ग्रुप भारत के पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश में रोपवे और रोपवे लिफ्ट के प्रोजेक्ट कर रही है।
भारत में व्यापार कर रही एक हजार फ्रांसीसी कंपनियों में से करीब 400 बड़ी कंपनियां आने वाले पांच साल में भारत में 10 अरब डॉलर का निवेश करने के प्रोजेक्ट शुरु कर चुकीं हैं। बड़ी कंपनियों के साथ अब मध्यम और लघु स्तर की 50 से 70 फ़्रांसिसी कंपनियां भारत आ चुकी है।