नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश संजय मिश्रा को उत्तर प्रदेश का नया लोकायुक्त नियुक्त किया है साथ ही इस मामले में अपने पूर्व आदेश को भी वापस ले लिया।
उत्तर प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर चल रहे विवाद को गुरुवार को विराम देते हुए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश प्रफुल्ल चंद पंत की खंडपीठ ने गत 20 जनवरी को सुरक्षित रखे गए अपने फैसले को सुनाया।
फैसले में उत्तर प्रदेश के नए लोकायुक्त के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश संजय मिश्रा के नाम की घोषणा कर दी गई साथ ही इस मामले में उच्चतम न्यायालय के पूर्व आदेश को वापस ले लिया।
न्यायालय ने इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के ही पूर्व न्यायाधीश वीरेन्द्र सिंह को लोकायुक्त नियुक्त किया था, लेकिन याचिकाकर्ता सच्चिदानंद गुप्ता उर्फ सच्चे ने उनकी नियुक्ति पर सवाल खड़े किए थे।
गुरुवार को अपना फैसला सुनाते हुए दो सदस्यीय खंडपीठ ने राज्य सरकार के कामकाज पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि संवैधानिक पदों पर बैठे मुख्यमंत्री और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश लोकायुक्त के पद के लिए एक नाम तय नहीं कर पाए।
फ़िलहाल न्यायाधीश संजय मिश्रा को नया लोकायुक्त नियुक्त जाने के बाद अब इस पद को लेकर राज्य में जारी विवादों को थमने की उम्मीद की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय स्वागत योग्य : राज्यपाल
राज्यपाल राम नाईक ने प्रदेश के नए लोकायुक्त चयन मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया है। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश संजय मिश्रा को उत्तर प्रदेश का नया लोकायुक्त नियुक्त किया है। अवकाश प्राप्त न्यायाधीश वीरेन्द्र सिंह यादव को लोकायुक्त नियुक्त किए जाने का अपना आदेश वापस ले लिया है।
नाईक ने जारी एक बयान में कहा है कि मैंने माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का हमेशा सम्मान किया है। उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्तिगण राजन गोगोई तथा पीसी पन्त की खण्डपीठ द्वारा सुनाए गए गुरुवार के निर्णय का स्वागत करता हूं। न्यायाधीश संजय मिश्रा को उत्तर प्रदेश का लोकायुक्त नियुक्त करने संबंधी पारित आदेश का मैं सम्मान करता हूं।