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गूगल ने दी प्रख्यात भारतीय चित्रकार अमृता को श्रद्धांजलि - Sabguru News
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गूगल ने दी प्रख्यात भारतीय चित्रकार अमृता को श्रद्धांजलि

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गूगल ने दी प्रख्यात भारतीय चित्रकार अमृता को श्रद्धांजलि
Google tribute to acclaimed artist amrita sher gil on her 103rd birthday
Google tribute to acclaimed artist amrita sher gil on her 103rd birthday
Google tribute to acclaimed artist amrita sher gil on her 103rd birthday

नई दिल्ली। गूगल ने प्रख्यात भारतीय चित्रकार अमृता शेरगिल को उनके 104वें जन्मदिन पर तीन महिलाओं की एक साधारण तस्वीर को डूडल बनाकर श्रद्धांजलि अर्पित की है।

अमृता का जन्म सिख पिता उमराव सिंह शेरगिल (संस्कृत-फारसी के विद्वान व नौकरशाह) और हंगरी मूल की यहूदी ओपेरा गायिका मां मेरी एंटोनी गोट्समन के घर 30 जनवरी 1913 को हुआ था। उनकी तुलना अक्सर मेक्सिकन चित्रकार फ्रिदा कारलो से की जाती थी। उन्हें भारत की श्रेष्ठतम महिला चित्रकार के तौर पर जाना जाता है।

अमृता शेरगिल भारत के प्रसिद्ध चित्रकारों में से एक थीं। उनका जन्म बुडापेस्ट (हंगरी) में हुआ था। कला, संगीत व अभिनय बचपन से ही उनके साथी रहे। 8 वर्ष की आयु में पियानो-वायलिन बजाने के साथ-साथ कैनवस पर भी हाथ आजमाने लगी थी।

1921 में अमृता का परिवार समर हिल शिमला में आ बसा। बाद में अमृता की मां उन्हें लेकर इटली चली गई। सन 1934 के अंत में वह भारत लौटी। बाईस साल से भी कम उम्र में वह तकनीकी तौर पर चित्रकार बन चुकी थी और असामान्य प्रतिभाशाली कलाकार के लिए आवश्यक सारे गुण उनमें आ चुके थे।

Google tribute to acclaimed artist amrita sher gil on her 103rd birthday
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उनकी प्रारंभिक कलाकृतियों में पेरिस के कुछ कलाकारों का पाश्चात्य प्रभाव प्रभाव साफ झलकता है। जल्दी ही वे भारत लौटीं और अपनी मृत्यु तक भारतीय कला परंपरा की पुन: खोज में जुटी रहीं।

1935 में उन्हें शिमला फाइन आर्ट सोसायटी की तरफ़ से सम्मान दिया गया जो उन्होंने लेने से इन्कार कर दिया था। 1940 में बॉम्बे आर्ट सोसायटी की तरफ़ से पारितोषिक दिया गया।

1935 के बाद भारत के सभी बड़े शहरों में उनकी चित्रकारी की प्रदर्शनियाँ लगाई गईं। उनके चित्र अब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैयक्तिक और सार्वजनिक संग्रहालयों में सम्मिलित हैं। उनके काम को राष्ट्रीय कला कोष घोषित किया गया है।

ताज़गी भरा और अपनी तरह का मौलिक अजंता एलोरा, कोचीन का मत्तंचेरी महल और मथुरा की मूर्तियाँ देखने के बाद उन्हें चित्रकारी की विशेष शैली समझ आई। इसके बाद उनकी चित्रकारी में राजपूत चित्रकारी की झलक भी मिलती है।

अमृता ने अपने हंगेरियन चचेरे भाई से 1938 में विवाह किया, फिर वे अपने पुश्तैनी घर गोरखपुर में आ बसीं। 1941 में अमृता अपने पति के साथ लाहौर चली गई, वहाँ उनकी पहली बडी एकल प्रदर्शनी होनी थी, किंतु एकाएक वह गंभीर रूप से बीमार पडीं और मात्र २८ वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई।