जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में आमजन के लिए चलाई जा रही लो फ्लोर बस में एक यात्री को हुई परेशानी का मामला उपभोक्ता आयोग तक जा पहुंचा। आयोग ने जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट लो फ्लोर की अपील न केवल खारिज की बल्कि उस पर हर्जाना भी लगा दिया।
राज्य उपभोक्ता आयोग ने जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट (लो फ्लोर) बनाम ओम प्रकाश कुशवाहा मामले में फैसला सुनाते हुए जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट को सेवा में कमी का दोषी माना साथ ही अकारण अपील करने पर 5 हजार रुपए जुर्माना भी ठोंक दिया।
मामला साल 2012 का है जब परिवादी ने उपभोक्ता मंच में जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट के खिलाफ गलत टिकट देने के कारण हुई मानसिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति के लिए परिवाद पेश किया था। जिसमें स्वयं जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट प्रशासन ने अपने जवाब में यह स्वीकार किया था कि परिवादी को जारी टिकट में मुद्रण संबंधि गलती थीं। जिस पर उपभोक्ता मंच ने अपने आदेश दिनांक 9/3/2005 द्वारा जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट को परिवादी को सात हजार रुपए आर्थिक व मानसिक क्षति तथा तीन हजार रुपए परिवाद व्यय के रूप में दिए जाने का आदेश दिया था।
इस आदेश के विरूद्ध जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट प्रशासन ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दाखिल कर दी। उक्त अपील को खारिज करते हुए आयोग अध्यक्ष जस्टिस निशा गुप्ता ने अपने आदेश दिनांक 19/1/2016 द्वारा उपभोक्ता मंच के निर्णय को यथावत रखा साथ ही जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट पर पांच हजार रुपए जुर्माना ओर अधिरोपित किया है।
जस्टिस गुप्ता ने अपने फैसले में कहा कि अधीनस्थ जिला मंच के आदेश से यह स्थिति स्पष्ट है कि विपक्षी द्वारा 40 रुपए प्रति पास के हिसाब से सात पास क्रय कर 280 रुपए का भुगतान किया गया। इसके बदले जो पास जारी किए गए उनमें समय और तारीख त्रुटिपूर्ण अंकित किए गए जिसके कारण विपक्षी बस बदलकर अन्य बस में यात्रा नहीं कर सका और उन्हें मानसिक और आर्थिक क्षति हुई।
स्वयं अपीलाक्षी ने यह स्वीकार किया है कि ईटीएम मशीन की खराबी के कारण तारीख व समय गलत अंकित हो गया। इस प्रकार अपीलार्थी का सेवा दोष उनके स्वयं के द्वारा स्वीकार किया गया और इसी आधार पर अधीनस्थ जिला मंच ने पास राशि, उस पर ब्याज और क्षतिपूर्ति के सात हजार रुपए और परिवाद व्यव तीन हजार दिलवाए हैं जिसमें कोई त्रुटि नहीं है।
आयोग ने अपने निर्णय में यह भी अंकित किया कि अपीलार्थी द्वारा स्वयं का सेवा दोष होते हुए भी उसे अधीनस्थ जिला मंच के समक्ष स्वीकार करने के बावजूद यह अपील अकारण पेश की है, इससे इस न्यायलय का समय बर्बाद हुआ है। अत अपीलार्थी की यह अपील पांच हजार रुपए हर्जाने पर अस्वीकार की जाती है।