पटना। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार में अपराध रोकने और विकास तेज करने के मुद्देपर तंज कसा।
उन्होंने कहा कि नीतीश को जो जनादेश मिला है वह बिहार के विकास के लिए है। परंतु इन मुद्दों को छोड़कर वे उत्तर प्रदेश (यूपी) में कुछ तलछट दलों को जोड़कर भाजपा के खिलाफ गठबंधन तैयार करने में लग गए हैं।
अजीत सिंह की पार्टी रालोद पश्चिमी यूपी के चंद चुनाव क्षेत्रों तक सीमित है, तो पीस पार्टी का न कोई विधायक है, न सांसद। दो सांसदों वाले अपना दल में नेतृत्व को लेकर स्वर्गीय सोनेलाल पटेल की पत्नी और बेटी में रस्साकशी चल रही है।
सुशील मोदी ने कहा कि हास्यापद बात तो यह कि जिस जदयू का यूपी में खुद कोई वजूद नहीं, उसके नेता नीतीश कुमार उपचुनाव में रालोद को समर्थन देने की घोषणा करते हैं। वे मिशन यूपी में लालू प्रसाद को तो साथ रख नहीं पाए, मुलायम सिंह यादव या मायावती को क्या जोड़ पाएंगे। उनकी सारी कवायद फुटकर दलों के भरोसे है। वहां लालू प्रसाद भी अलग गठबंधन बना रहे हैं।
नीतीश-लालू का उत्तर प्रदेश में कोई प्रभाव नहीं है। दोनों आपस में ही एकदूसरे को पछाड़ने में लगे हैं। उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में लालू प्रसाद की पार्टी राजद के सभी उम्मीदवारों को जो कुल वोट मिले, वे भाजपा के एक प्रत्याशी को प्राप्त वोट से भी कम थे। वहां मुलायम सिंह यादव की सपा और मायावती की बसपा के दो पाटों के बीच कटपीस पार्टियों को जोड़ने में नीतीश-लालू अपना-अपना रोल खोज रहे हैं।
इधर बिहार में नीतीश-लालू की सरकार अपराध रोकने में नाकाम है। विकास ठप है। सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की दबंगई बेलगाम है। दरभंगा में निर्माण कंपनी के दो इंजीनियरों को एके-47 से भून देने वाले अपराधियों पर कानून का शिकंजा नहीं कसा जा सका।
ये सारी चिंताएं छोड़कर नीतीश कुमार यूपी में जमीन तलाश रहे हैं। क्या बिहार की जनता ने यूपी, असम और पश्चिम बंगाल में राजनीति करने के लिए नीतीश कुमार और लालू प्रसाद को वोट दिया था?