जयपुर। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार ने रीट परीक्षा के नाम पर बेरोजगारों को भ्रमित किया है।
पायलट ने कहा कि भाजपा ने चुनाव पूर्व टेट समाप्त करने का असंवैधानिक वादा किया था जो युवाओं से वोट अर्जित करने की प्रक्रिया का एक हिस्सा था। टेट तभी समाप्त किया जा सकता है जब इसको लेकर संसद द्वारा संविधान संशोधन किया जाए।
उन्होंने कहा कि बेरोजगारों की आंखों में धूल झोंकने के लिए आरटेट परीक्षा का नाम बदलकर रीट का आयोजन किया गया। जबकि पहले से टेट परीक्षा में उत्तीर्ण लोग तृतीय श्रेणी शिक्षक बनने के लिए प्रतीक्षारत हैं।
उन्होंने कहा कि टेट पात्रता परीक्षा है जिसमें प्राप्त अंकों के आधार पर अध्यापक भर्ती परीक्षा में शामिल होने की पात्रता सुनिश्चित होती है।
अब सरकार ने सीधे रीट से अध्यापकों की भर्ती का प्रावधान कर विसंगति पैदा की है क्योंकि आरटेट पास अभ्यर्थी भी रीट अभ्यर्थियों के साथ शिक्षक भर्ती में शामिल होंगे, ऐसे में राज्य की मैरिट दोनों परीक्षाओं में जिसके ज्यादा अंक होंगे उसके आधार पर बनेगी।
पायलट ने शंका जाहिर की है कि सरकार द्वारा पैदा की गई इस दुविधा से विचलित हो कई अभ्यर्थी कानूनी प्रावधानों का संरक्षण ले सकते हैं, जो अध्यापक भर्ती में विलम्ब पैदा करेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार भी शायद यही चाहती है, इस वजह से ही आरटेट को रीट का नाम देकर युवाओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 2012 में लगे 40 हजार शिक्षकों का परीवीक्षाकाल पूर्ण होने के बावजूद भी उनको आज तक नियमित नहीं किया जा सका और उन्हें न्यूनतम वेतन पर अपनी सेवाएं देनी पड़ रही है जो अमानवीय है।
न्यायालय में लम्बित 40 हजार शिक्षकों के इस प्रकरण में सरकार द्वारा मजबूती के साथ पक्ष नहीं रखा जाना भाजपा सरकार की बेरोजगारों के प्रति घोर असंवेदनशीलता को दर्शाता है।