रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने वार्षिक परीक्षाओं के इस मौसम में प्रदेश के लाखों बच्चों को अपनी शुभकामनाओं के साथ पूरी मेहनत और लगन के साथ परीक्षा देने की सलाह दी है। इसके साथ ही उन्होंने बच्चों से कहा है कि परीक्षा में कम नम्बर मिलने पर हताश होने की जरूरत नहीं है, बल्कि जीवन के संघर्ष में खेल भावना के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।
डॉ. रमन सिंह रविवार सुबह आकाशवाणी से अपने मासिक प्रसारण ’रमन के गोठ’ की छठवीं कड़ी में प्रदेशवासियों को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री का यह रेडियो प्रसारण पिछली पांच कड़ियों की तरह इस बार भी प्रदेश के सभी जिलों के गांवों और शहरों में उत्साह के साथ सुना गया। उन्होंने हिन्दी और छत्तीसगढ़ी दोनों भाषाओं में श्रोताओं के सामने अपनी बात रखी।
मुख्यमंत्री ने टोनही प्रताड़ना, घरेलू हिंसा और यौन अपराधों की वजह से पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए अपनी सरकार की वचनबद्धता को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय मिले, इसके लिए कानून में जितनी सख्ती और कठोर दण्ड का प्रावधान हो सकता था, वह किया गया है और उनकी मदद के लिए राजधानी रायपुर में देश के प्रथम सखी-वन स्टाप सेंटर की भी स्थापना की गई है।
उन्होंने राज्य के युवाओं से प्रदेश सरकार की कौशल उन्नयन योजनाओं के साथ जुड़ने और रोजगार मांगने वाले के रूप में नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले की भूमिका में आने का भी आव्हान किया। डॉ. रमन सिंह ने माघ पूर्णिमा के अवसर पर 22 फरवरी से शुरू हो रहे छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध राजिम कुंभ में शामिल होने के लिए प्रदेशवासियों को पिंवरा चांऊर (पीले चावल) के साथ न्यौता दिया।
उन्होंने ’रमन के गोठ’ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस महीने की 21 तारीख को होने वाली छत्तीसगढ़ यात्रा की भी ’खुशखबरी’ दी और सभी लोगों को राजनांदगांव जिले के ग्राम कुर्रूभाट में प्रधानमंत्री के हाथों ’श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन योजना’ के शुभारंभ समारोह में शामिल होने का आमंत्रण दिया।
डॉ. रमन सिंह ने छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा- सभी स्कूलों में 23 फरवरी से बोर्ड तथा इसी बीच घरेलू परीक्षाएं भी शुरू होने वाली हैं। दसवीं-बारहवीं बोर्ड की परीक्षाओं में प्राप्त सफलता बच्चों के सुनहरे भविष्य को तय करती है। आज से ठीक एक सप्ताह बाद परीक्षाएं शुरू हो चुकी होंगी। स्वभाविक हैं आप इसकी तैयारी में पूरे परिश्रम और मनोयोग से लगे होंगे।
मुख्यमंत्री ने अपने बचपन के दिनों को और स्कूली जीवन को याद करते हुए कहा – बोर्ड परीक्षा के समय मुझे अलग ही रोमांच महसूस होता था। परीक्षा की तैयारी के दौरान मेरे मन में भी घबराहट होती थी, लेकिन उत्साह भी रहता था कि जितना अधिक परिश्रम करूंगा, उतना ही अच्छा परिणाम आएगा।
परीक्षा के दिनों में सवेरे चार बजे हमें उठाया करती थी माता जी
मुझे याद है कि स्कूली परीक्षा के दौरान घर में हमारी माता जी हमें सवेरे चार बजे उठाया करती थी, चाय बनाया करती थी और जब परीक्षा देकर हम घर लौटते थे, यदि परीक्षा में प्रश्न अच्छे हल हुए, तो उनके चेहरे में सबसे ज्यादा चमक होती थी। मुख्यमंत्री ने छात्र-छात्राओं से कहा – इसलिए आप और आपका पूरा परिवार इस परीक्षा में आपके साथ जुड़ा हुआ है, तो आप उन सबके लिए भी और अपने लिए भी उतनी मेहनत करें, ताकि परिवार का सम्मान आप बढ़ा सकें, लेकिन इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि हम सबको परीक्षा में बहुत अच्छे नम्बर मिले।
हर व्यक्ति में अलग-अलग योग्यता, अलग-अलग क्षमता और अलग-अलग विशेषताएं होती है। ईश्वर ने हमें एक विशेष उद्देश्य से संसार में भेजा है। इसलिए अगर किसी को परीक्षा में कम नम्बर मिले तो इसमें हताश होने की जरूरत नहीं है, बल्कि जीवन के संघर्ष में हमें इसी तरह खेल भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
अगर असफलता मिलती है तो फिर दोगुने प्रयास के साथ जुटना होगा। असफलता से हताश नहीं होना है, क्योंकि जितने भी सफल व्यक्ति दुनिया में हुए हैं, उन्हें भी कहीं न कहीं असफलता मिली थी और उस असफलता को ही उन्होंने सफलता का मूल मंत्र माना और जीवन में कामयाब होकर राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।
प्राथमिक परीक्षाओं में बहुत आगे नहीं था मैं
डॉ. रमन सिंह ने कहा – मुझे भी मालूम है कि स्कूल की प्राथमिक परीक्षाओं में, मैं बहुत आगे नहीं हुआ करता था, लेकिन बाद में धीरे-धीरे मुझे अहसास हुआ कि अगर हमें आगे बढ़ना है तो बाद की परीक्षाओं में हम और बेहतर करें। इसलिए आप आगे बढ़े, मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। डॉ. रमन सिंह ने बच्चों के सुखद भविष्य की कामना करते हुए कहा-आप ने जो सपना देखा होगा, एक अच्छे डॉक्टर, एक अच्छे इंजीनियर, कलेक्टर, वैज्ञानिक, शिक्षक आदि बनने का, ईश्वर उसे अवश्य पूरा करें।
महिलाओं की कानून और समाज की भागीदारी जरूरी
मुख्यमंत्री ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा – मै अपने प्रदेश की माताओं, बहनों और बेटियों से जुड़े एक बहुत ही महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय पर आज चर्चा करना चाहता हूं। हमारे देश की बेटी ’निर्भया’ के साथ दुर्भाग्य से जो घटना हुई, उससे हम सभी चिंतित हैं।
पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय मिल सके, इसके लिए कानून में जितना हो सकता था, सख्ती और कठोर दण्ड का प्रावधान किया गया है, लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए सरकार और कानून के साथ-साथ समाज को भी अपनी भागीदारी निभानी होगी। डॉ. सिंह ने कहा-इन्हीं भावनाओं को ध्यान में रखकर राजधानी रायपुर में देश का पहला ’सखी-वन स्टाप सेंटर’ शुरू किया गया है, जिसका उद्घाटन केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी द्वारा 16 जुलाई 2015 को किया गया था।
डॉ. रमन सिंह ने रेडियो प्रसारण में महिलाओं को बताया कि पीड़ित महिलाओं को सखी-वन स्टाप सेंटर में एक ही स्थान पर सभी प्रकार की सुविधाएं जैसे-चिकित्सा, कानूनी सहायता, पुलिस सहायता और परामर्श आदि के साथ अस्थायी रूप से पांच दिनों तक आवासीय सुविधा भी दी जाती है। डॉ. सिंह ने सखी-वन स्टाप सेंटर के हेल्प लाइन (टोल फ्री नम्बर) 181 और कार्यालय के टेलीफोन नम्बर 0771-4061215 की भी जानकारी दी।
उन्होंने महिलाओं को बताया कि ये टेलीफोन नम्बर चौबीसों घण्टे चालू रहते हैं। इन नम्बरों पर शिकायत दर्ज कर पुलिस वन स्टाप सेंटर की सेवाएं ली जा सकती हैं। पुलिस में केस दर्ज होने से लेकर सभी औपचारिकताएं पूर्ण होने तक पीड़ित महिलाओं को इस सेंटर में रखा जाता है।
घरेलू हिंसा, बलात्कार, दहेज उत्पीड़न, एसिड अटैक, टोनही प्रताड़ना, कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न, अवैध मानव व्यवहार, बाल विवाह, भ्रुण हत्या, सती प्रथा, धोखाधड़ी, छेड़छाड़, गलत टेलीफोन नम्बरों से परेशानी, पेंशन संबंधी समस्या, सम्पत्ति विवाद, दैहिक शोषण आदि रूप में जो भी हिंसा समाज में व्याप्त है, ऐसे सभी प्रकरणों में पीड़ित महिलाओं को एकीकृत सेवाएं सखी-वन स्टाप सेंटर में दी जाती हैं।
मुख्यमंत्री ने अपने रेडियो प्रसारण को सुन रहे सभी समाज सेवी संगठनों, महिला संगठनों, जनप्रतिनिधियों, सरपंचों और मीडिया से भी शासन की इस पहल का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने और पीड़ितों को इसका लाभ लेने के लिए प्रेरित करने का आव्हान किया।
15 लाख तेन्दूपत्ता संग्राहकों को इस बार मजदूरी 1,500 प्रति मानक बोरा
डॉ. रमन सिंह ने अपने रेडियो प्रसारण में प्रदेशवासियों को बताया कि राज्य में तेन्दूपत्ता सहित लघु वनोपज संग्रहण का सीजन भी शुरू होने जा रहा है। प्रदेश के वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और आदिवासियों को लघु वनोपजों के कारोबार का लाभ दिलाने के लिए, उन्हें उनकी मेहनत का सही मोल दिलाने के लिए और बिचौलियों से बचाने के लिए राज्य शासन द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
तेन्दूपत्ता संग्रहण की वर्तमान दर 1200 प्रति मानक बोरा को बढ़ाकर 1500 रूपए प्रति मानक बोरा कर दिया गया है। इससे राज्य के लगभग 15 लाख संग्राहक परिवार लाभान्वित होंगे। चालू वर्ष 2016 में उन्हें तेन्दूपत्ता संग्रहण कार्य के लिए लगभग 250 करोड़ रूपए का पारिश्रमिक दिया जाएगा। तेन्दूपत्ता के इस कार्य में संलग्न लगभग दस हजार फड मुंशियों के पारिश्रमिक में पांच रूपए प्रति मानक बोरा की वृद्धि करने के निर्देश मैंने दिए हैं।
अब फडमुंशियों को प्रति मानक बोरा 25 रूपए कमीशन मिलेगा। अभ्यारण्यों और टाईगर रिजर्व जैसे संरक्षित क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 25 हजार आदिवासी परिवार तेन्दूपत्ता संग्रहण नहीं कर पाते हैं, इसलिए उन्हें प्रति परिवार दो हजार रूपए का मुआवजा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने रेडियो वार्ता में बताया – हमने प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियों के प्रबंधकों का मासिक वेतन आठ हजार रूपए से बढ़ाकर दस हजार रूपए करने का फैसला लिया है। तेन्दूपत्ता संग्राहकों को चरणपादुकाएं भी निःशुल्क दी जाएंगी। मुख्यमंत्री ने कहा-तेन्दूपत्ते के साथ-साथ साल बीज, हर्रा, इमली, लाख, चिरौंजी और महुआ टोरा जैसे लघु वनोपजों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए ’क्रय योजना’ में शामिल किया गया है।
इसके जरिए वनवासी परिवारों को लगभग 54 करोड़ रूपए वितरित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने वनवासी परिवारों से यह भी आव्हान किया कि वे तेन्दूपत्ता संग्रहण और लघु वनोपज विक्रय में बिचौलियों से दूर रहकर सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं।
कौशल उन्नयन और रोजगारमूलक शिक्षा पर विशेष जोर
डॉ. सिंह ने ’रमन के गोठ’ में प्रदेश के युवाओं की कौशल उन्नयन के लिए और उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की भी जानकारी दी। डॉ. सिंह ने बताया कि रोजगारमूलक शिक्षा और प्रशिक्षण पर विशेष जोर दिया जा रहा है। नया रायपुर में ट्रिपल आईटी की स्थापना की जा चुकी है। भिलाई में आईआईटी की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। सभी 27 जिलों में लाईवलीहुड कॉलेज खोले जा चुके हैं।
हर विकासखण्ड में कम से कम एक आईटीआई खोलने का लक्ष्य है। युवाओं को सरकारी नौकरी में चयन का अधिक अवसर देने के लिए 31 दिसम्बर 2016 तक सीधी भर्ती के पदों पर आयु सीमा 35 वर्ष से बढ़ाकर 40 वर्ष कर दी गई है।
तृतीय श्रेणी के पदों पर अनुकम्पा नियुक्ति के बकाया मामलों में दस प्रतिशत की अधिक सीमा को एक साल के लिए शिथिल कर दिया गया है और तृतीय श्रेणी (गैरकार्यपालिक) तथा चतुर्थ श्रेणी के पदो ंके लिए साक्षात्कार के प्रावधान को भी समाप्त कर दिया गया है।