पाली। पाली में आयोजित श्रीमदभगवद कथा ज्ञान यज्ञ समिति के तत्वावधान में सोमवार सुबह प्रभातफेरी निकाली गई। प्रभातफेरी में गोवत्स राधकृष्ण महाराज के साथ हाथ में ध्वज लिए श्रद्धालजन गोविन्द बोलो हरि गोपाल बोलो, राधरमण हरि गोपाल बोलो गाते हुए फतेहपुरिया पोल से रवाना हुए।
पानी दरवाजा, टांको का वास, घांचियों का वास, भैरुघाट,शाहजी के चौकपर प्रभातफेरी विसर्जित हुई। ताड़केश्वर रामेश्वर चैरिटेबल ट्रस्ट के रामेश्वर प्रसाद गोयल, कैलाश चन्द्र गोयल, कमल किशोर गोयल, गोपाल, परमेश्वर जोशी, अशोक जोशी, किसन प्रजापत, जयशंकर त्रिवेदी, सहित दो सौ से अधिक महिला पुरुष भक्तगण ने प्रभातफेरी में भाग लिया।
शाम को श्रीमदभमगवद कथा के दौरान वासुदेवसुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम, देवकी परमानान्दं कृष्णं वन्दें जगदगुरुम और हे गोपाला राधकृष्णा, गोविन्द कृष्ण जैसे मधुर गीतों का संगम देखने को मिला।
श्याम से तो मिलने का सत्संग एक बहाना है सरीखे गीतों के बोल पर भक्त झूम उठे। मधुर भक्तिमय गीतों के बीच श्रीमदभगवद कथा का रसपान कराते हुए राधकृष्ण महाराज ने धर्मप्रेमियों को भगवान की भक्ति के बारे में बताया।
गोमाता, ऋतुओं एवं राधा कृष्ण के प्रेम के बारे में बड़े ही सुन्दर तरीके से समझाया। उन्होंने कहा कि मन की सुन्दरता को देखो तन स्वयं ही सुन्दर हो जाएगा। मन से कथा सुनने पर नारायण स्वयं आकर मन में विराजित हो जाते हैं। उन्होंने धर्म व विज्ञान का महत्व भी रेखांकित किया।
उन्होंने बताया कि श्रीमदभगवत पुराण में द्रोपदी ऐसा आदर्शर्ष है जिसका भगवान श्रीकृष्ण स्वयं सम्मान करते हैं। व्यक्तिगत हानि करने वाले को क्षमा कर देवें और देश व गौमाता को नुकसान करने बाले को कभी क्षमा नहीं करना चाहिए।
उन्होंने पाण्डव, द्रोपदी, दुर्योधन और अस्वस्थामा के चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने एक घटना का वर्णन करते हुए कहा कि युद्ध के बाद पाण्डव घर से बाहर गए हुए थे। बच्चे उनके बिस्तर पर से रहे थे तभी मौकर पाकर अस्वस्थामा पहुंच गया। उसने अवसर देख पाण्डव समझकर उनके सोये हुए बच्चों का बध कर दिया।
बाद में अस्वस्थामा दुर्योधन के दरबार में पहुंचे तो उसने कहा भीम का सिर लाओ। अस्वस्थाम ने सिर पकडा दिए। दुर्योधन ने पत्थर पर पटककर देखा कहा कि ये किसका सिर लाए हो ये तो कोई और है भीम का सिर तो इतना मजबूत है कि बचपन में मैने उसे एक बार छत से धक्का मार दिया वह जिस पत्थर पर गिरा वह चकनाचूर हो गया।
उनके कहने का मतलब ये था कि व्यक्ति को कभी भी किसी ओर के बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए। चाहे दरी चादर ही क्यों न स्वयं की हो, दुर्घटना कभी भी घट सकती है।
राधकृष्ण महाराज ने सुबह जल्दी उठने पर जोर दिया और कहा कि जो ऋषि की संताने हो वह सुवह जल्दी उठकर प्रभातफेरी में जाएं प्रभु का गुणगान करें। सुबह को गुणगान करने से प्रभु प्राप्त होते हैं।
संतों ने कहा भी है कि वेला अमृत गया साथी सारे जगे तू न जगा, कर्म उत्तम से नर तन पाया। सूर्य उगने से पहले अंधेरे तक तीनों नाडि़यां वात पित कफ समान होते हैं। उन्होंने कहा कि धूर्त काम से पहले प्रसार करते हैं और सज्जन काम करने के बाद बोलते भी नहीं, चुप रहते हैं।
कथा को श्रवण में प्रीति रखकर सुने, हे प्राणनाथ मन को बहुत अच्छा लगता है। कथा के दौरा परमपूज्य डोंगरे महाराज का उदाहरण देकर समझाया। पांच प्रकार की मानव शक्तियों को समझाया। कथा के दौरान श्रद्धालु बड़े ही भावुकता से कथा को सुनते दिखाई दिए।