पाली। पाली शहर स्थित गीता सत्संग भवन में चल रही श्रीमदभगवद कथा में धर्मसभा को संबोधित करते हुए पण्डित सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने कहा कि जब तक व्यक्ति अभिमान का त्याग नहीं करता तब तक वह परतात्मा की रण में नहीें पहुंच सकता।
जीवन में दुःख आ जाए तो घबराना नहीं चाहिए। ध्यान रहे व्यक्ति की संगत बिगड़ जाने से उसके गुणों पर पाला पड़ जाता है। दुर्योधन का संग करने से अश्वस्थामा को अपमानित होना पड़ा। उन्होंने श्रीमदभागवद कथा प्रसंगों में द्रौपदी के पांचों पुत्रों के मस्तक काटनें, अश्वस्थामा के मस्तिष्क से मणि निकालने, उत्तरा के गर्भ की रक्षा के प्रसंगों का वर्णन किया।
कथा के दौरान प्रबल प्रेम के कारण प्रभु को नियम बदलते देखा और रात नाम के हीरे मोती मैं बिखराउं गली गली भजनों पर श्रोता भक्ति की मस्ती में झूमने लगे। कथा की महत्तपा को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि राग द्वेष एवं लड़ाई से लड़ाई का समाधान नहीं होता है जो लोग अपने बचपन युवावस्था को संवार लेते हैं, उनका बुढापा भी संवर जाता है।
मनुष्य के अभिमान की उड़ान की बहुत उंची होती है। संतों की संगत करने से जीवन सुधर जाता है। इस अवसर पर गीता भवन के गादीपति स्वामी प्रेमानंद, पंडित जगन्नाथ आचार्य, पुखराज जांगिड़, रणजीतसिंह राजपुरोहित, जगदीश शर्मा, शिवदास रामावत सहित बड़ी संख्या में माता बहनें उपस्थित थे।