नई दिल्ली। देशद्रोह के आरोप में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। इसके बाद कन्हैया कुमार की ओर से उनके वकील वृंदा ग्रोवर और सुशील बजाज ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दायर कर की।
मालूम हो कि शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कन्हैया के वकीलों से पूछा कि आप इस मामले में हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। कन्हैया ने न्यायालय से तिहाड़ जेल में अपनी जान को खतरा बताया है।
पटियाला हाउस अदालत परिसर में हुई हिंसा को आधार बनाकर कन्हैया के वकीलों ने सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट में कन्हैया और वकील की हिफाजत नहीं की जा सकती। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वहां हालात इतने ख़राब नहीं है कि जमानत याचिका पर सीधे उच्चतम न्यायालय में सुनवाई की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कन्हैया के वकीलों की दलील ठुकराते हुए जमानत अर्जी पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया। उधर, दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में साफ किया कि उन्हें अब कन्हैया कुमार के रिमांड की जरूरत नहीं है।
जमानत याचिका में कन्हैया की ओर से कहा गया कि वह बेगुनाह है। पुलिस को अब हिरासत की जरूरत नहीं है। रिपोर्ट कहती है कि उसके खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिले हैं। उसके खिलाफ ठोस सबूत मिलने से पहले ही गुनाहगार जैसा बर्ताव किया गया। पटियाला हाउस में उसे पीट-पीटकर मार डालने की कोशिश की गई। उसके अधिकारों का हनन किया गया।
कन्हैया ने जेल में भी जान का खतरा बताया है। याचिका में यह भी लिखा गया है कि पटियाला हाउस कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद सुरक्षा नहीं हो पाई। वहां उसे फेयर ट्रायल नहीं मिलेगा। इसलिए ऐसे हालात में सुप्रीम कोर्ट जमानत दे।
एसएआर गिलानी की जमानत याचिका खारिज
दिल्ली हाई कोर्ट ने देशद्रोह के आरोपों के मामले में जेल भेजे गए दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एस.ए.आर.गिलानी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। इससे पूर्व गिलानी को गत गुरुवार को चौदह दिनों की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेजा गया था। गिलानी को जेल के सबसे हाई रिस्क वाले वार्ड नबंर एक में रखा गया है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एस.आर.गिलानी की जमानत याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दी है। कोर्ट के फैसले के बाद पूर्व प्रोफेसर की रिहाई की संभावना समाप्त होती दिख रही है।
जानकारी हो कि जेएनयू में हुए देशद्रोही प्रदर्शन के बाद राजधानी दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक कार्यक्रम में देश विरोधी नारे लगाए गए थे। बाद में देशद्रोह का मामला दर्ज करते हुए दिल्ली पुलिस ने गिलानी को गिरफ्तार किया था। पुलिस का कहना था कि गिलानी ही समारोह के मुख्य आयोजक थे।
जेएनयू में नारेबाजी के खिलाफ वकीलों ने किया मार्च
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में राष्ट्र विरोधी नारेबाजी के खिलाफ वकीलों ने शुक्रवार को बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण विरोध मार्च किया और देश के गद्दारों का पुतला फूंका।
प्रदर्शनकारी वकीलों ने कहा कि हम अपने देश के खिलाफ नारे लगाने वाले किसी भी राष्ट्र विरोधी तत्व को स्वीकार नहीं करेंगे। यह बेहद निंदनीय है।
वकीलों की बिरादरी ऐसी नारेबाजी का विरोध करती है। राष्ट्र विरोधी नारेबाजी के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए वकीलों ने हाथों में तिरंगा झंडा लेकर पटियाला हाउस से इंडिया गेट तक पैदल मार्च किया।
इस दौरान यह लोग भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगा रहे थे। हालांकि कुछ वकीलों को पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे भी लगाते सुना गया। वहीं जेएनयू में शुक्रवार को भी राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कन्हैया को छोडने की मांग को लेकर छात्रों का प्रदर्शन जारी है। इसमें विरोध प्रदर्शन में हजारों छात्र शामिल हुए।