पाली। श्री राजस्थान गो सेवा समिति पाली के तत्ववाधान में शहर के गणमान्य लोगों के साथ गोवत्स राधकृष्ण महाराज ने एडीएम ब्रजेश कुमार चंदोलिया को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में जैविक कृषि स्वस्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण में देशी गोवंश का योगदान तथा केन्द्र व राज्य सरकार से जन अपेक्षाएं एवं सरकार के दायित्व। चुनाव के समय मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सुराज संकल्प यात्रा के दौरान प्रदेश में गौरक्षा का संकल्प लिया था, तत्पश्चात भारतीय जनता पार्टी का घोषण पत्र जारी करने के पूर्व राजस्थान गौ सेवा समिति के पदाघिकारियों के साथ भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने गोरक्षा व गोसंरक्षण के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेकर घोषण पत्र में स्थान दिया था।
सरकार बनने पर मंत्रिमंडल द्वारा इसे राज्य सरकार दस्तावेज स्वीकार कर इसमें वर्णित विषयों पर कार्य करना शुरू किया। दो वर्ष की लम्बी अवधि पूर्ण होने के बाद भी गोसेवा विषयक भी कोई कार्य नहीं किया गया। गो रक्षा एवं गो संरक्षण देश के लिए आवश्यक है। श्री राजस्थान गो सेवा समिति का सरकार से अनुरोध है कि गो सेवा तथा गोरक्षार्थ निम्न सुझाव पर ध्यान दे एवं तत्काल कार्यवाही की गोसेवा समिति सरकार से अपेक्षा करती है।
गो पालन को प्रोत्साहन देने के लिए गोपालकों एवं गोषालाओं के लिए गोमाता परिवार कार्ड बनाया जाए जिसमें उनके द्वारा प्रषित गोवंश के जन्म मृत्यु का पंजीयन अनिवार्य है। एसे कार्ड धारकों को मनरेगा व अव्य सरकारी योजनाओं से लाभान्वित किया जाए। शुष्क गोवंश के संप्रेषण के लिए उन्हें विशेष अनुदान राशि दी जाए।
प्रत्येक ग्राम अथवा ग्राम पंचायत स्तर पर नर गोवंश तथा निराश्रित गोवंश को आश्रय एवं आहार प्रदान करने हेतु गोसेवा सदनों की स्थापना की जाए ताकि विराश्रित गोवंश गांव गली मोहल्लों में एवं सड़कों पर नहीं घूमें एवं किसान की फसल को भी क्षति नहीं पहुंचे और नस्ल विकृति भी न हो साथ ही एसे गो वंश को कत्लखाने जाने से भी बचाया जा सके।
प्रत्येक ग्राम अथवा ग्राम पंचायत स्तर गोबर से खाद बनाने, उर्जा उत्पादन करने, गोबर गैस बनाने, कागज आदि निर्माण करने, गोमूत्र अर्क, कीट नियंत्रक, फिनायल जैसे रसायन तैयार करने के लघु उद्योग स्थापित किए जाए। गो पालको एवं गोशालाओं से गोबर व गोमूत्र को अधितम मूल्य पर क्रय करने की व्यवस्था हो। प्रत्येेक ग्राम में गो संवर्धन शाला की स्थापना की जाए जहां उन्नत नस्ल के नंदियों के रख रखाव की व्यवस्था हो।
बैल आधरित कृषि करने वाले किसानों को बैलगाड़ी परिवहन आदि कार्य करने वाले को प्रति बैल अधिकतम प्रोत्साहन राशि दी जाए। देशी गोवंश के दूध, घी व अन्य उत्पादों का अधितम मूल्य पर क्रय एवं विपणन की व्यवस्था की जाए। गो सेवा सदनों एवं गोशालाओं को प्राथमिकता के आधार पर सरकारी भूमि आवंटित की जाए। गोचर भूमियों का सीमांकन किया जाए। अतिक्रमण मुक्त कराया जाए।
जैबिक खाद द्वारा कृषि करने बाले किसानों को रासायनिक खाद पर दिया जाने वाला अनुदान प्रति बीघा के औसत से दिया जाना चाहिए।
गोरक्षा कानून को सख्त बनाया जाए, गोवंश को अवैध रुप से परिवहन करने वाले वाहन मालिक व्यापारी कसाई को अपराधी माना जाए एवं उचित दण्ड का प्रावधान रखा जाए। स्वतंत्र गोपालन मंत्रालय की स्थापना हो।
सरकारी भूमि तथा गोचर ओरण वन भूमियों से प्राप्त राजस्व में से गोशालाओं को पचास प्रतिशत हिस्सा राशि दी जाए क्योंकि उक्त समस्त प्रकार की भूमियां पूर्वजों के द्वारा केवल गोचारण के लिए सुरक्षित रखी गई है। प्रदेश में निराश्रित असहाय गोवंश के संरक्षण संप्रषण के साथ ही गोवंश की उन्नत नस्लें तैयार करने तथा गोपालक किसानों को गोपाली व गो आधारित जैविक कृषि के लिए उचित सहयोग व प्रोत्साहन हेतु जितना आवश्यक हो उतनी तकनीकी व वित्तीय अनिवार्यता का प्रावधान इस वर्ष के बजट में 31 मार्च तक करने का अनुग्रह करें।
इस अवसर पर राजस्थान गोसेवा समिति के जिलाध्यक्ष गिरधारी सिंह, देवी सिंह, दामोदर, मारवाड़ी युवा मंच के नरेश पाण्डे, प्रांत गोरखा प्रमुख नरेश बोहरा नाडोल, विशन सिंह पादरला, अर्जुनसिंह गुडाराम सिह, कांतिलाल शर्मा, राकेश योगी, संत सुरजनदास, राधाकृष्ण महाराज, कमल किशोर गोयल, परमेश्वर जोषी, ताराचंद माहेश्वरी सहित पांच सौ से अधिक महिला पुरुष ज्ञापन में शामिल हुए।