वॉशिंगटन। अमरीका ने जापान के ओकीनावा में शीतयुद्ध के दौरान परमाणु हथियार तैनात किए थे। विश्व शक्ति के रूप में उभर के आए अमरीका ने यह कार्य उसे लगातार चुनौती दे रहे सोवियत संघ के संभावित हमले से निपटने के लिए उठाया था। हाल ही में इस बात का खुलासा पेंटागन की ओर से जारी गुप्त दस्तावेजों से हुआ है।
गौरतलब है कि शीतयुद्ध के समय दुनिया के ज्यादातर देश समाजवाद का प्रतीक बन चुके रूस और पूंजीवादी प्रतीक देश अमरीका के समर्थन में दो भागों में बंट गए थे, इस समय विश्व के तमाम देशों के में परस्पर हथियारों को लेकर विशेषकर परमाणु अस्त्रों का चलन शुरू हो गया था। जिसके कारण अमरीका और रूस के बीच तनाव चरम पर था।
बाहर आए इन गौपनीय दसतावेजों की माने तो वॉशिंगटन ने जापान में वर्ष 1972 तक परमाणु हथियार रखे थे। बाद में उसने ओकीनावा द्वीप को 15 मई 1972 में जापान को सौंप दिया। इस संबंध में कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पिछले 25 वर्ष पहले से इसे लेकर कुछ फोटो सार्वजनिक रहे हैं, इसमें फिर गौपनीयता का प्रश्न कहां रहा।
बतादें कि जापान दुनिया का एकमात्र देश है जो अब तक परमाणु बम का शिकार बना है। अमरीका ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान वर्ष 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए थे। जिसके बाद दुनिया के तमाम देशों ने अमरीका की भर्तसना की थी, इसे अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार दिया गया था।
हर्जाने के तौर पर अमरीका को कई हजार लाख डॉलर भी देने पड़े थे। इसकी विभीषिका को देखने के बाद दुनिया के सभी देशों ने सबक भी लिया था कि दो देशों के बीच कितना भी भयंकर टकराव क्यों न पैदा हो जाए वे हमेशा परमाणु बम के इस्तमाल से तौबा करेंगे।