अलवर। बीते करीब 9 सालों में यूआईटी को ठेंगा दिखा कर रसूखदारों ने कई दर्जन अवैध आवासीय कॉलोनियां बसा दी। दूसरी ओर अलवर यूआईटी खुद की 11 बीघा जमीन से ही अनजान बनी बैठी रही।
जमीन शहर में कृषि उपज मण्डी के पीछे एनईबी विस्तार आवासीय योजना की है। कुछ दिन पहले जमीन का मालूम चला तो शुक्रवार को यूआईटी के अधिकारियेां ने मौके पर यूआईटी के नाम के बोर्ड खड़े कराए।
जमीन शहर के बीच में होने के कारण बेशकीमती है। पिछले कई सालों से तंगहाली का ढिंढोरा पीट रही यूआईटी ने समय पर इस जमीन की सुध ली होती तो ऐसी नौबत ही नहीं आती।
यूआईटी अधिकारियों के अनुसार इस जमीन का मामला वर्ष 2006 में ही निस्तारित हो चुका है। इसके बावजूद यूआईटी के अधिकारी व कर्मचारी चुप बैठे रहे। हाल में इसका मालूम चला तो यूआईटी ने आसानी से कब्जा ले लिया।
कुछ लोग इस जमीन को अवाप्ति से बाहर होने का हवाला देते हुए विरोध करने भी आए, लेकिन उसी समय पटवारी ने जमीन का मौका समझाया। मौजूदा भावों के अनुसार जमीन की कीमत करीब 100 करोड़ रुपए से ज्यादा है।
हिमांशु गुप्ता सचिव यूआईटी अलवर ने बताया कि हमारे ही एक कर्मचारी ने इस जमीन की सूचना दी, मौका दिखवाया। जांच कराने पर मालूम चला कि जमीन यूआईटी की है। अब कब्जा भी ले लिया। यह सही है कि जमीन कीमती है।
सोहन सिंह नरूका तहसीलदार यूआईटी अलवर ने बताया कि जमीन का कब्जा ले लिया है। कुछ लोगों ने इस जमीन को अवाप्ति से बाहर बतायाए लेकिन पटवारी ने मौका समझाया। चेयरमैन देवी सिंह शेखावत के आने के बाद अलवर यूआईटी ने दो बड़ी कार्रवाई की हैं।
एक दिन पहले बुध विहार में नाथावाला कुआं की करीब सवा आठ बीघा जमीन का कब्जा लिया। इस जमीन पर जेसीबी से दूसरे दिन भी सफाई की गई।
जमीन की कीमत करीब 90 करोड़ रुपए है। इस तरह यूआईटी ने पिछले दो दिनों में करीब 20 बीघा जमीन अपने कब्जे में ली है। दोनों की कीमत करीब 200 करोड़ रुपए है।