नई दिल्ली। जेएनयू में 9 फरवरी को कथित राष्ट्र विरोधी नारे लगाने के आरोपी पांच छात्रों को पकडऩे के लिए दिल्ली पुलिस कैम्पस के अंदर नहीं जाएगी। सूत्रों के अनुसार यह आरोपी बाहर आएंगे और पुलिस उन्हें वहीं से ले जाएगी।
इस मामले में नामजद दस में से पांच फरार आरोपियों के कैम्पस में ही होने की फोटो वायरल होने के बाद दिल्ली पुलिस इन्हें गिरफ्तार करने की कवायद में लगी है। इधर, दिल्ली पुलिस के कमिश्नर बीएस बस्सी ने ट्वीट करके कहा कि दिल्ली पुलिस हर परिस्थिति से निपटने के लिए सक्षम है।
जेएनयू केम्पस में जिस आयोजन में कथित रूप से राष्ट्रविरोधी नारे लगाए गए थे, उस कार्यक्रम के मुख्य आयोजकों में से उमर खालिद, आशुतोष, अनिरबान भट्टाचार्य, रामा नागा और अनन्त प्रकाश नारायण जेएनयू कैम्पस में ही होने की जानकारी मिलने पर दिल्ली पुलिस रविवार रात को जेएनयू कैम्पस पहुंची थी। लेकिन जेएनयू के छात्रों ने पुलिस को अंदर नहीं घुसने दिया।
पुलिस ने विवाद को टालते हुए वापस लौटने बेहतरी समझी। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार पुलिस के लौटने के बाद उमर खालिद ने छात्रों को संबोधित भी किया। उसने आरोप लगाया कि उसने ऐसा कोई गुनाह नहीं किया है, जैसा कि दिल्ली पुलिस दावे कर रही है। उसका कहना था कि उसने ऐसे किसी व्यक्ति से दूरभाष पर बात नहीं की जिनके बारे में दिल्ली पुलिस बता रही है।
खालिद ने कहा कि वह मुसलमान है, लेकिन आतंकवादी नहीं है। उसके पास पासपोर्ट नहीं है ऐसे में वह पाकिस्तान नहीं जा सकता है। उसने कश्मीर और पाकिस्तान में कोई बात नहीं की है, पुलिस के पास यदि सबूत है तो वह पेश करे।
इधर, जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन के सेकेट्री विक्रम आदित्य चौधरी ने कहा कि वीसी ने उन्हें इस बात के लिए आश्वस्त किया है कि पुलिस कैम्पस में नहीं आएगी और वह इसका स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि वीसी को विद्यार्थियों पर से राष्ट्रद्रोह के आरोप को हटाने के लिए प्रयास करने चाहिए। उन्होंने यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को हटाने की भी मांग की।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी ने कहा कि यदि छात्रों पर लगाए गए आरोप सही नहीं हैं, तो वह इसके एवीडेंस प्रस्तुत कर देवें, पुलिस उनका पूरा सहयोग करेगी।
इधर, फेसबुक और ट्वीटर पर जेएनयू को लेकर पक्ष विपक्ष की बहस छिडी हुई है। पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगडे ने कहा कि यदि एंटीइंडियन स्लोगन लिखे और बोले गए हैं तो राष्ट्रद्रोह का मामला बनता है। वहीं पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू ने अपने एक लेख में इन विद्यार्थियों की गिरफ्तारी को गैर जरूरी बताया है।
इधर, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पुलिस ने इलेक्ट्रोनिक, प्रिंट और वेब मीडिया के उन रिपोर्टरों से भी पूछताछ की है जिनसे फरार स्टूडेंटस ने फरारी के दौरान दूरभाष पर बात की है या उन्होंने इन विद्यार्थियों को फोन किया है।
कन्हैया का परिवार बोला, जेएनयू मामले पर चुप्पी तोड़े पीएम मोदी
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के परिवारवालों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले पर चुप्पी तोड़ने का आग्रह किया है।
परिवार के सदस्यों ने सोमवार को बताया कि कन्हैया इस मामले से पाक-साफ होकर बाहर निकलेगा। यह पूरा प्रकरण एक फिल्म की तरह रहा है। हमें भरोसा है कि कन्हैया एक नायक की तरह उभरेगा।
कन्हैया के भाई मणिकांत ने कहा कि जेएनयू के घटनाक्रम को लेकर प्रधानमंत्री मोदी खुश नहीं है। उन्होंने इस पर अब तक कुछ नहीं कहा है। मोदी भी हमारी तरह गरीब परिवार से आते हैं। उन्हें अपनी चुप्पी तोड़कर इस घटनाक्रम पर अपनी बात कहनी चाहिए क्योंकि उनसे बहुत उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले जेएनयू परिसर पर कथित तौर पर लगे राष्ट्र विरोधी नारों के खिलाफ छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार किया हुआ है। जबकि उमर खालिद सहित पांच अन्य को पुलिस अभी तक गिरफ़्तार नहीं कर पाई है।