पाली। पाली के गीता सत्संग भवन में ब्रहमलीन संत श्रीश्री 1008 रामानंद महाराज की तृतीय पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में चल आयोजित श्रीमदभगवत कथा का सोमवार को विविधवत समापन हुआ।
श्रीमदभगवत कथा के अंतिम दिन पंडित सुरेन्द्र कुमार शाष्त्री ने कथा के महात्म्य के बारे में बताते हुए कहा कि मनुष्य को जीवन में एक बार अवश्य रुप से श्रीमदभगवत कथा करानी चाहिए एवं कथा का श्रवण भी करना चाहिए। राजा परीक्षित ने शुकदेव महाराज से कथा सुनी एवं उनके जीवन के प्रसंगों को बताया। भगवान श्यामसुन्दर की सुदामा से मित्रता, गुरु संदीपनि के आश्रम में मिलन,शिक्षा आदि के प्रसंग पर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए।
चले श्याम सुन्दर से मिलने सुदामा, अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो दर
पे सुदामा आया हुआ है, राधारानी की जय महारानी की जय, जय गोविन्दा जय गोपाला
जैसे भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे। भगवान श्रीकृष्ण जव उद्धव को अपना दूत बनाकर ब्रज भेजते हैं और उद्धव वहां जाकर मनसुखा गोपियों को समझाते हैं वहां की बात आकर पुनः वताते हैं तब भगवान श्यामसुन्दर उद्धव को कहते हैं हे उद्धव अब तुम भक्ति करो और मुझे अवतार बदलना पड़ेगा, उद्धव कहते हैं कि हे भगवान मेरा क्या होगा। भगवान श्रीकृष्ण उद्धव को दिव्य ज्ञान देते हैं और वह बद्रिकाश्रम चले जाते है।
संतो ने दी स्वामी रामानंद को श्रद्धांजलि
गीता सत्संग भवन के संस्थापक स्वामी रामानंद को संतों ने भावपूण्र श्रद्धांजलि दी। संतों ने उनके ज्ञान भक्ति के बारे में उपस्थित श्रद्धालुओं को बताया। इस अवसर पर गीता भवन के गादीपति स्वामी प्रेमानंद, स्वामी अंकुशपुरी, साक्षी गोपालानंद, शाश्वतानंद, चिन्मयानंद, संत श्रवणराम, नारायानंद गिरी, संत जीवाराम आदि ने भी अपने भाव व्यक्त किए। संतों ने स्वामी रामानंद की समाधि के दर्शन करकिए एवं उनकी प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए।
पूर्णाहुति के वाद सभी श्रद्धालुओं ने भोजन प्रसादी ग्रहण की। इस अवसर पर राजकुमार चांदवानी, नरेन्द्र छुगानी, जगन्नाथ शर्मा, प्रदीप छुगानी, रामजीवन तापडि़या, भंवरसिंह भाटी, भंवरलाल अरोड़ा, शीतलदास पमनानी, जसराज पुरोहित, श्रवणसिंह चौहान, गोविन्द छुगानी, आदि श्रद्धालु उपस्थित थे।