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ज्ञान, भक्ति एवं कर्मयोग की त्रिवेणी बना संत सम्मेलन - Sabguru News
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ज्ञान, भक्ति एवं कर्मयोग की त्रिवेणी बना संत सम्मेलन

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ज्ञान, भक्ति एवं कर्मयोग की त्रिवेणी बना संत सम्मेलन
sant sammelan at ramlila maidan in jalalabad
sant sammelan at ramlila maidan in jalalabad
sant sammelan at ramlila maidan in jalalabad

शाहजहांपुर। शाहजहांपुर जिले के जलालावाद रामलीला मैदान में चल रहे विराट संत सम्मेलन में सन्तों ने उपस्थित श्रद्धालुओं को ज्ञान, भक्ति एवं कर्मयोग की त्रिवेणी में स्नान कराया।

सम्मेलन में कई सन्तों संग पधारे अखिल भारतीय सोहम महामंडल वृन्दावन के पीठाधीस्वर स्वामी विवेकानंद के कृपापात्र स्वामी सत्यानंद महाराज ने श्रद्धालुओ को संबोधित करते हुए कहा कि परमात्मा की प्राप्ति में मल, विक्षेप और आवरण वाधक हैं।

परमात्मा सर्व व्यापक है फिर भी उसकी प्राप्ति के लिए बड़े बड़े प्रयास किए जाते हैं। निष्काम कर्म करने से मल दूर होता है।उपासना करने से मन का विक्षेप दूर होता है। ज्ञान से आवरण दूर होता है।

स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने महाभारत के दृष्टांत का उल्लेख करते हुए बताया कि जो भगवान की शरण में जाते हैं भगवान स्वयं उनकी रक्षा करते हैं। कलिकाल में अनेकों प्रकार की बुराईयां बढेगी किन्तु केवल एक मात्र सत्संग ही ऐसा रास्ता है जिसके सहारे से इन बुराईयों से बचा जा सकता है।

sant sammelan at ramlila maidan in jalalabad
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स्वामी गीतानंद महाराज ने कहा कि स्वंय को जानने के लिए शरीर के तीन रूपों को जानना पड़ता है। स्थूल, सूक्ष्म व कारण शरीर। तीनों शरीर से भिन्न आत्मा है। रामायण मर्मज्ञ स्वामी प्रीतमदास ने भगवान श्रीराम के प्रसंगों को सुनाया। उन्होंने कहा कि सत्संग ही जीवन की सही दिशा बता सकता है।

संत सम्मेलन में महाभारत के कृष्ण पाण्डव संवाद को सुनाते हुए कहा कि कलिकाल का ऐसा प्रभाव होगा कि माता पिता बच्चों का पालन पोषण कर देंगे किन्तु सभी बच्चे बडे होकर अपने बृ़द्ध माता पिता की सेवा करने में भार मानेंगे। कलिकाल का वर्णन करते हुए कहा कि रक्षक ही भक्षक बन जाएंगे। भाई भाई की सहायता न करके दूसरों का सहयोगी बनेगा।

स्वामी नारायणानंद ने सदाचारी जीवन का महत्व पाण्डवों के जीवन से सीख लेते हुए समझाया। स्वामी सदानंद ने नवरतन को प्राप्तकर उसका सदुपयोग करने के बारे में बताया।