सबगुरु न्यूज-सिरोही। राजस्थान हाईकोर्ट की खण्डपीठ के न्यायाधीश गोविंद माथुर एवं निर्मलजीत कौर ने सिरोही जिले में चिकित्सा की बदहाल व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार को तलब किया है।
खण्डपीठ ने पूर्व विधायक संयम लोढ़ा की जनहित याचिका पर राज्य के चिकित्सा सचिव, सिरोही जिला कलक्टर, सिरोही जिला चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी एवं जिले के मुख्या चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को यह नोटिस जारी किया है। खण्डपीठ ने मौखिक रूप से राज्य सरकार को अगली सुनवाई 20 अप्रेल से पूर्व पद भरने को कहा है।
लोढा ने याचिका में कहा है कि जिला चिकित्सालय में 42 पदों के विरुद्ध कुल 15 चिकित्सक कार्यरत हैं। छह वरिष्ठ विशेषज्ञ के सभी पद रिक्त हैं। जिला चिकित्सालय मरीजों को अन्य जिलों में रेफर करने का केन्द्र बन गया है। आम आदमी के लिए साधारण स्तर का इलाज प्राप्त करना भी कठिन हो गया है। लम्बे समय से यह स्थिति बनी हुई है। लोगों की कोई परवाह नहीं है।
सिरोही जिला राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित दुर्घटना प्रभावित क्षेत्र है। ट्रोमा सेेंटर पर ताले लगे हैं। टूटी हड्डियों का मरीज उपचार के लिए यहां नही लाया जा सकता। उदयपुर तथा जोधपुर काफी दूर पड़ते हैं। राज्य सरकार आदिवासी बाहुल क्षेत्र होने के बावजूद जिले की उपेक्षा कर रही है। यह गंभीर चिंता के हालत हैं। राज्य सरकार अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन नहीं कर रही है।
गरीब आदमी को निजी चिकित्सालय में इलाज करवाना महंगा पड़ रहा है। जिले में चिकित्सा की इतनी बदहाल स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार को सिरोही जिमें में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान करने चाहिए। लोढा ने इस संबंध में 30 नवम्बर को राज्य सरकार के मुख्य सचिव सी.एस. राजन को विज्ञापन दिया था। संविधान के अनुच्छेद 21 एव 14 में प्राप्त नागरिक अधिकारों का सरकार हनन कर रही है।
लोढ़ा ने याचिका में इस बात के प्रमाण प्रस्तुत किए हैं कि चिकित्सा व्यवस्था की बदहाली का आलम यह है कि चार-चार दिनों तक बलात्कार पीडि़ताओं की चिकित्सा जांच नहीं हुई है। निजी चिकित्सालयों में गर्भवती महिलाओं के पेट चीरे जा रहे हैं। लैब टैक्नीशियन रक्त जांच की रिपोर्ट जारी कर रहे हैं। जो कि एक अपराध है। मामले की पैरवी एडवोकेट संदीप शाह ने की।