उज्जैन। 20वीं सदी के उत्तरार्ध में दो बार ऐसे मौके आए, जब एक-एक वर्ष के अन्तराल में क्रमश: दो बार अलग-अलग सिंहस्थ आयोजित हुए। यह अपने आप में एक रिकार्ड है वहीं तात्कालिक मतभेदों को दूर नहीं कर पाना एक कारण भी रहा। अब तो सरकारें सबकुछ मैनेज लेती है,जिसे हम पिछले दो दिनों से सिंहस्थ में घट रहे घटनाक्रम में देख भी रहे हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. आनन्द शंकर व्यास के अनुसार वर्ष-1956 में सिंहस्थ चैत्र शुक्ल पूर्णिमा बुधवार 25 अप्रैल से वैशाख शुक्ल पूर्णिमा गुरुवार 24 मई तक आयोजित हुआ था। इस सिंहस्थ में शाही स्नान चैत्र शुक्ल पूर्णिमा बुधवार 25 अप्रैल,10 मई, 13 मई एवं 24 मई को हुए।
-वर्ष-1957 में सिंहस्थ का शुभारंभ चैत्रशुक्ल पूर्णिमा रविवार 14 अप्रेल को पहले स्नान से हुआ था। इसका समापन वैशाख शुक्ल पूर्णिमा सोमवार 13 मई को मुख्य स्नान के साथ हुआ। इस दिन चंद्रग्रहण भी था। इस सिंहस्थ में 29 अप्रैल,2 मई को भी स्नान हुए थे।
-वर्ष-1968 में सिंहस्थ चैत्र शुक्ल पूर्णिमा शनिवार 13 अप्रैल से वैशाख शुक्ल पूर्णिमा रविवार 12 मई तक आयोजित हुआ था। इसमें 13 अप्रैल, 27 अप्रैल, 30 अप्रैल एवं 12 मई को स्नान हुए थे। इस सिहंस्थ में वैष्णव सम्प्रदाय के अखाड़ों के साधु संतों ने भाग लिया था।
-वर्ष-1969 का सिंहस्थ चैत्र शुक्ल पूर्णिमा बुधवार 2 अप्रेल से वैशाख शुक्ल पूर्णिमा शुक्रवार 2 मई को आयोजित हुआ था। इसमें प्रथम स्नान 2 अप्रैल, दूसरा 12 अप्रैल, तीसरा 19 अप्रैल एवं अंतिम स्नान 2 मई को हुआ था। इसमें शैव सम्प्रदाय के अखाड़ों के साधु संतों ने भाग लिया था।
-वर्ष-1980 में चैत्र शुक्ल पूर्णिमा सोमवार 31 मार्च से वैशाख शुक्ल पूर्णिमा बुधवार 30 अप्रैल तक सिंहस्थ आयोजित हुआ था। इसमें 31 मार्च , 15 अप्रैल ,17 अप्रैल एवं 30 अप्रैल को स्नान पर्व मनाए गए।
-वर्ष-1992 में चैत्रशुक्ल पूर्णिमा शुक्रवार 17 अप्रैल से वैशाख शुक्ल पूर्णिमा शनिवार 16 मई 92 तक सिंहस्थ आयोजित हुआ। इसमें 17 अप्रैल,2 मई, 5 मई एवं 16 मई को प्रमुख स्नान पर्व मनाए गए।
-वर्ष-2004 में चैत्र शुक्ल पूर्णिमा सोमवार 5 अप्रैल से वैशाख शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार 4 मई 2004 तक आयोजित हुआ। इसमें 5 अप्रैल, 13 अप्रैल, 19 अप्रैल 22 अप्रैल, 4 मई को स्नान हुए थे। 4 मई मंगलवार को ग्रहण होने के कारण 5 मई को ग्रहण मोक्ष स्नान भी हुआ था।