भोपाल। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। आज के दिन विशेष रूप से प्रदेश की सभी माताओं, बहनों, बेटियों और अपनी भांजियों को मैं शुभकामनाएं देना चाहता हूं।
आज का दिन दुनिया में महिलाओं के सम्मान, समानता, सुरक्षा, सहभागिता, सशक्तीकरण और नेतृत्व विकास के लिए जाना जाता है। मेरा भी यह मानना है कि जब तक हमारे समाज में महिलाओं के लिये यह सभी कुछ ध्यान में नहीं रखा जाएगा तब तक हम एक विकसित समाज की कल्पना नहीं कर सकते हैं।
महिला दिवस मनाने का उद्देश्य ही यह है कि हम समाज में इन सभी बिन्दुओं पर आमजन का ध्यान आकर्षित करें ताकि वह लोग महिलाओं के प्रति अधिक संवेदनशीलता के साथ व्यवहार करें। इसके लिए हमें एक वातावरण बनाने की आवश्यकता है।
मेरे विचार से यह वातावरण और तेजी से बन सकता है जब कि सरकार के स्तर पर इस दिशा में अधिक से अधिक प्रयास किये जायें। महिलाओं, बेटियों, माताओं, बहनों को अनुकूल वातावरण देने के लिये सरकारें नई-नई योजनाएँ तैयार करें। समाज में महिलाओं को सुरक्षित वातावरण देने के लिए सुदृढ़ कानून व्यवहार में लाया जाए। जब मैं इस विचार को ध्यान में रखता हूं तो मुझे ऐसा लगता है कि मेरे लिये तो हर दिन अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है।
मैंने मुख्यमंत्री बनने के बाद से लगातार इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बने जहां हमारी माताएं, बहनें, बेटियां सभी सम्मान, सुरक्षा और समानता के साथ रह सकें। वह समाज में विभिन्न क्षेत्रों और कार्यों में सहभागिता करें। समाज में, प्रशासन में, परिवार में उनकी महत्वपूर्ण निर्णयों में भूमिका हो सके। यहां तक ही नहीं, हमारा यह भी प्रयास रहा है कि वह समाज को नेतृत्व प्रदान करें और हमारे स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करें।
अपने प्रदेश की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पिछले वर्षों में हमने अनेक कार्य किए हैं। हमारे प्रदेश की बेटियाँ सशक्त हों, इसके लिए हमने प्रदेश में महिला सशक्तीकरण संचालनालय की स्थापना की है। महिलाओं के सम्मान एवं संरक्षण के लिए वन स्टॉप क्राइसेस सेंटर स्थापित किए गए हैं। स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।
अधिकतर विभागों की सरकारी नौकरियों में 33 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित रखे गए हैं। इसके माध्यम से हमारा प्रयास है कि प्रदेश में महिलाओं को अवसरों की समानता प्राप्त हो सके। मध्यप्रदेश सरकार प्रदेश में महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनैतिक सशक्तीकरण के लिये प्रतिबद्ध है। हम चाहते हैं कि प्रदेश में बेटियां पढ़ें, आगे बढ़े, स्वस्थ रहें, सम्मान और सुरक्षा के साथ सिर उठाकर जिएं।
गांव-गांव में शौर्या दलों का गठन किया गया है, जो महिलाओं में चेतना लाने का कार्य कर रहे हैं। साथ ही साथ हम प्रदेश में महिला आवेदकों को नि:शुल्क ड्राइविंग लाइसेंस प्रदान कर रहे हैं।
मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि मध्यप्रदेश में हमने महिलाओं के लिए जो योजनाएं और कार्यक्रम चलाए हैं, आज उनका सकारात्मक परिणाम हमारे सामने आ रहा है। प्रदेश में महिलाएं सशक्त हो रही हैं। हमने स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को दिया था, किन्तु वह अपनी ताकत और क्षमता के बल पर 56 प्रतिशत स्थानों पर चुनकर आई हैं।
लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ 21 लाख बेटियों को मिल चुका है। 3 लाख 60 हजार कन्याओं का विवाह मुख्यमंत्री कन्या विवाह और निकाह योजना में हो चुका है। प्रदेश में संस्थागत प्रसव बढक़र 90 प्रतिशत हो गया है। महिला हिंसा के मामलों में 30.32 प्रतिशत की कमी आई है।
लाडो अभियान के तहत प्रदेश में 78 हजार बाल विवाह रोके जा चुके हैं। सभी दिशाओं से जब प्रदेश में महिलाओं की बेहतरी की खबरें आती हैं तो मुझे बेहद खुशी होती है। मुझे अहसास होता है कि मेरा परिवार एक समृद्ध परिवार बनता जा रहा है।
मैं अपनी खुशी के कुछ उदाहरण आपके साथ साझा करना चाहता हूं। हमारे प्रदेश में पंचायत राज में महिलाओं की हिस्सेदारी को लेकर तरह-तरह के सवाल उठाये गए थे। आज जब मैं ग्रामीण क्षेत्रों में महिला पंच-सरपंचों को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ काम करते हुए देखता हूं तो मेरा सीना गर्व से तन जाता है। पंचायत राज में हमारी बहनों के बारे में यह कहा जाता था कि वह स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले पाती हैं, किन्तु आज बहनों ने इस बात को गलत साबित कर दिया है।
आज हमारे प्रदेश में बालाघाट जिले की ग्राम पंचायत मोहरई की उप सरपंच रामकली सैय्याम जैसी अनेक बहनें पंचायतों में बिना किसी पुरूष हस्तक्षेप के विकास के कार्यों को अंजाम दे रही हैं। बहन रामकली ने मनरेगा की रूकी हुई मजदूरी का भुगतान कराया है, वर्मी पिट बनवाए हैं। 120 परिवारों तक पानी पहुंचाया। पानी की अच्छी व्यवस्था के कारण वहां 887 किलो आलू एवं 190 किलो अदरक की खेती संभव हो सकी।
इसी प्रकार, रीवा जिले के सिरमौर ब्लॉक की बुसौल पंचायत की सरपंच बहन तुलसा जैसवाल ने रोड निर्माण और अन्य कार्य करते हुए 200 शौचालय का निर्माण और 7 परिवार को कन्या विवाह का लाभ दिलवाया है। कटनी जिले के बड़वारा ब्लॉक की सक्रिगढ़ पंचायत की सरपंच बहन मगनी बाई ने 2 सीसी रोड बनवाये, 3 रोड का मुरमीकरण किया, 8 इंदिरा आवास स्वीकृत करवाए, 14 घर मुख्यमंत्री आवास योजना में बनवाए, 800 शौचालय का निर्माण करवाया।
इन्हीं कार्यों का परिणाम था कि बहन मगनी बाई की पंचायत को निर्मल पंचायत का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इसी तरह से छतरपुर जिले की बोखना पंचायत की सरपंच बहन फुला अहिरवार ने महिला जन-प्रतिनिधियों के साथ मिलकर 20-25 पंचायत की महिलाओं को संगठित कर सफल नशामुक्ति अभियान चलाया। इस अभियान को सराहना मिली। बहन फुला की मीडिया ने काफी प्रशंसा की। इस प्रकार पूरे प्रदेश में एक उत्साहजनक सकारात्मक वातारण महिलाओं के अनुकूल तैयार हुआ है। मैं इससे बहुत खुश हूं।
संयुक्त राष्ट्र ने भी वर्ष 2016 के लिए महिला दिवस पर थीम रखी है कि वर्ष 2030 तक दुनिया में स्त्री-पुरूष अनुपात 50-50 प्रतिशत करने के लिए पहल होनी चाहिए। हमने प्रदेश में बेटी बचाओ अभियान चलाकर पहले से ही इस दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं। इस अभियान की सफलता है कि अब हमारे प्रदेश में 1000 पुरूषों पर 948 महिलाओं का अनुपात हो गया है।
यह लगातार बेहतर होता जा रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में मध्यप्रदेश देश का एकमात्र राज्य होगा जहाँ महिलाएं सम्मान, सुरक्षा, समानता का सर्वश्रेष्ठ जीवन जी रही होंगी। पुन: आप सभी को महिला दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।