ग्वालियर/भोपाल। वर्ष 2016 का पहला आंशिक खग्रास सूर्यग्रहण बुधवार को (9 मार्च 2016) भारत में कुछ ही देर के लिए ही दिखाई दिया।
भारत में बुधवार सुबह 5.43 बजे ग्रहण लगा, जो उत्तर पश्चिम एवं पश्चिम भाग को छोडक़र शेष भारत में सुबह 6.47 बजे तक रहा।
बुधवार सुबह जब सूर्य उदित हुआ तो वह ग्रहणग्रस्त था। सुबह 6:33 से सूर्योदय होने के बाद 6:47 तक आंशिक सूर्यग्रहण के अवलोकन के लिए विज्ञान संचारक सारिका घारू ने बिडला मंदिर प्रांगण एवं वल्लभ भवन के सामने अवलोकन केम्प का आयोजन किया, जिसमें सैकड़ों लोगों ने सूर्यग्रहण देखा।
सारिका घारू ने आंशिक सूर्यग्रहण के अवलोकन के लिए सोलर व्यूअर की मदद से आमजन एवं बच्चों को इस खगोलीय घटना को दिखाया। नर्मदा विपनेट क्लब विज्ञान प्रसार द्वारा सोलर व्यूअर उपलब्ध कराया गए।
सारिका ने बताया जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चन्द्रमा एक सीध में आ जाता है तो छाया वाले स्थान पर पूर्ण सूर्यग्रहण तथा उप छाया वाले स्थान पर आंशिक सूर्यग्रहण होता है।
ग्रहण का असर?
शास्त्रगत मान्यता के आधार पर ग्रहण का सूतक 12 घंटे पूर्व यानी मंगलवार 8 मार्च की शाम 4.50 बजे से लग गया। मंदिरों के पट ग्रहण की अवधि में बंद रहे। सुबह ग्रहण की समाप्ति के बाद भगवान का स्नान-अभिषेक कर पूजापाठ का कार्यक्रम हुए।
कुंभ राशि में रहेगा ग्रहण
जहां ग्रहण दिखाई नहीं वहां सूतक मान्य नहीं था। भागतवतचार्य पं. उपेेन्द्र शर्मा के अनुसार ग्रहण की यह खगोलीय घटना कुंभ राशि एवं पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में घटित हुई इसी के साथ ही अन्य राशियों में भी ग्रहण थोड़ा बहुत रहा।