देहरादून। भाजपा के वरिष्ठ विधायक मदन कौशिक ने एक बार फिर अपने प्रश्नों के माध्यम से मंत्रियों को घेरने का काम किया। उनके प्रश्न पर काफी देर हंगामा हुआ लेकिन मंत्री प्रीतम सिंह पंवार संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए।
कौशिक ने जानना चाहा था कि विकास प्राधिकरणों के नक्शा स्वीकृति से प्राप्त आय को खर्च करने की कोई नीति है लेकिन नीति के अनुसार खर्च नहीं हो रहा है। इस पर मंत्री प्रीतम सिंह पंवार ने बताया कि विकास प्राधिकरणों में आवासीय इन्फ्रास्ट्रक्चर फण्ड की स्थापना की गई है। उक्त फण्ड में विभिन्न स्रोतों से अर्जित प्राप्तियों को जमा कराया जाता है तथा उक्त धनराशि को क्षेत्र एवं स्थल की आवश्यकतानुसार अवस्थापना सुविधाओं के विकास के अन्तर्गत प्रस्तावित कार्याे में व्यय किया जाता है।
कौशिक के जवाब में प्रीतम सिंह पंवार ने बताया कि विभाग द्वारा एकत्र राशि 80 प्रतिशत पूंजीगत व्यय के रूप में की जाती है। बीस प्रतिशत वेतन के मद में खर्च की जाती है। उन्होंने बताया कि हरिद्वार विकास प्राधिकरण 2014—15 में पांच करोड़ उन्नीस लाख 77 हजार की राशि आय के रूप में मिली है जिसमें 1 करोड़ 65 लाख 19 हजार की राशि विकास में व्यय की गई है।
इसी प्रकार एमडीडीए के बारे में जानकारी देते हुए पंवार ने बताया कि मसूरी देहरा विकास प्राधिकरण से 28 करोड़ 15 लाख 29 हजार की आय हुई है, जिसमें 24 करोड़ 16 लाख 14 हजार की राशि विकास में व्यय की गई है। इसी प्रश्न पर अमृता रावत, सुरेन्द्र सिंह जीना, गणेश जोशी ने भी अपने सवाल उठाए तथा सवालों के माध्यम से प्रीतम पंवार को घेरा लेकिन उनके जवाबों से विधायक गण संतुष्ठ नहीं दिखे।
स्वास्थ्य मंत्री कटघरे में
तारांकित प्रश्न संख्या 2 के माध्यम से मदन कौशिक ने स्वास्थ्य मंत्री को कटघरे में खड़ा करने का काम किया। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री आज अन्य विधायकों के भी राडार पर रहे तथा उन्हें पूरी तरह घेरा गया लेकिन इसकी शुरूआत कांग्रेस सदस्य अमृता रावत ने की और मदन कौशिक ने इसी मुद्दे को आगे बढ़ाया।
मदन कौशिक ने जानना चाहा कि राज्य में कितने सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र), पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र)और मोबाईल वैन पीपीपी मोड़ पर चलाए जा रहे है। इस पर जानकारी देते हुए स्वाथ्य मंत्री ने बताया कि 12 सामुदायिक केन्द्र, 11 सचल चिकित्सा वाहन लोक निजी सहभागिता (पीपीपी मोड) पर संचालित किए जा रहे है।
उन्होंने बताया कि जनवरी 2013 से जनपद चमोली और उत्तरकाशी में दी जा रही सेवाएं बंद होने के बाद 2 सचल चिकित्सा वाहन क्रियाशील नहीं है। इसके अलावा निजी सहभागिता के आधार पर संचालित 12 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में से कतिपय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के संबंध में अनुबंध के अनुरूप चिकित्सकों की तैनाती न किए जाने की शिकायते मिली है। इसके लिए महानिदेशक को निर्दिष्ठ किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री के इस प्रश्न पर मदन कौशिक ने यह जानना चाहा कि वर्ष 2014—15 में कितना बजट खर्च हुआ जिसे स्वास्थ्य मंत्री ने यह कहकर टाल दिया कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है इस पर जवाब नहीं दिया जा सकता। विधायकों ने इस प्रश्न को स्थागित करने की मांग की लेकिन अध्यक्ष ने इसे अनसूनी कर दी और अगला प्रश्न पुकारा।
खेलमंत्री का खेल
भाजपा के युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी ने तारांकित प्रश्न संख्या 3 के माध्यम से खेल मंत्री से जानना चाहा कि 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी के दृष्टिगत खेल नीति 2014 के अन्तर्गत क्या-क्या सुविधाएं तैयार है इस पर खेल मंत्री दिनेश अग्रवाल खेल कर गए। उन्होंने बताया कि डीपीआर की तिथि घोषित कर दी गई है। 719.14 करोड़ की डीपीआर की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा अवास्थपना कार्य कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है। उन्होंने आधा दर्जन उपकरणों की जानकारी दी जो तैयार हो चुके है।
वन्यजीवों के नुकसान पर भडक़े पूर्व विधानसभा अध्यक्ष
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं कैंट विधायक हरबंस कपूर ने राज्य में वन्य जीवों द्वारा किसानों की फसलों के नुकसान के सबंध में जानकारी चाही। उनका आरोप था कि नुकसान के अनुरूप मुआवजा नहीं दिया जा रहा हैं। जिस पर वनमंत्री दिनेश अग्रवाल ने प्रावधानों का जिक्र किया तथा कहा कि मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण नीधि नियमावली 2012 के अन्तर्गत वन्यजीवों द्वारा फसलों की क्षतिपूर्ति पर किसानों को मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है।
इसी प्रश्न पर कांग्रेस विधायक हीरा सिंह बिष्ट भाजपा विधायक प्रेमचंद्र अग्रवाल ने भी अपने मुद्दे जोड़े। इससे पहले कि मामला आगे बढ़े संसदीय कार्यमंत्री इंदिरा ह्दयेश ने मामले को निपटाने का प्रयास किया लेकिन विधायकों के हंगामे पर मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2012 में मुआवजों का निर्णय लिया गया था वह वनमंत्री से आग्रह करेंगे कि एक बैठक बुलाकर इन मुआवजों की बढ़ोतरी पर चर्चा की जाए।
इससे पहले सभी विधायकों का कहना था कि फसलों पर दिए जाने वाला मुआवजा पर्याप्त नहीं है। कहीं बंदर कहीं हाथी कहीं जंगली सुअर तथा अन्य जानवर नुकसान पहुंचा रहे है। नकरौंदा तथा अन्य क्षेत्रों में ऋषिकेश के आस-पास हाथियों का आतंक है और फसले रौंदी जा रही है जिसके लिए निर्धारित राशि काफी कम है लेकिन मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद विधायक अपने-अपने स्थान पर बैठ गए।
स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी मंत्री विधायकों में टसल
भाजपा विधायक हरबंस कपूर ने तारांकित प्रश्न संख्या 6 के माध्यम से राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत क्षेत्र में कितने उच्च प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र चलाए जा रहे है की जानकारी चाही। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने इसकी संख्या 36 बताई। लोक निजी सहभागिता (पीपीपी मोड) के आधार पर चल रहे इन स्वास्थ्य केन्द्रों के टैंडर प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कहते कपूर ने जानना चाहा कि सरकार ने जिस संस्था को टैंडर दिया है उसे टैंडर बाद में मिला है लेकिन उसने कर्मचारियों की नियुक्ति पहले ही कर दी जो इस बात का संकेत है कि कहीं न कहीं मामलें में झोल है।
इस पर स्वास्थ्य मंत्री का कहना था कि टैंडर की प्रक्रिया 18 मार्च 2015 को जारी की गई और 20 मार्च को तकनीकि विट खुली और 23 जुलाई को संस्था को कार्य करने के आदेश दे दिए गए थे। जबकि कपूर ने बताया कि संस्था ने 12 जुलाई 2015 को रिक्ती निकालकर भर्ती कर ली थी जबकि उसका चयन 23 जुलाई को हुआ। आखिर संस्था को कैसे पता था कि उसका चयन हो गया है। उसने पहले नियुक्ति कैसे कर दी।
इसका सीधा अर्थ यह है कि संस्था को पहले ही जानकारी दे दी गई थी कि उनका चयन होना ही है। यह इस बात का संकेत है कि मामलें में भारी घोटाला हुआ है लेकिन मंत्री का कहना था कि ऐसा नहीं हुआ है।
स्वास्थ्य मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी के अनुसार संचालक संस्था अनुबंध के अनुसार मानव संसाधन उपलब्ध कराए जाने हेतु उत्तरदायी है। चिकित्सालय के अवार्ड होने से पूर्व मानव संसाधन की व्यवस्था किया जाना संस्था का अपना विवेक है किंतु कार्मिको का पारिश्रमिक हस्ताक्षरित अनुबंध की शर्ताे एवं अनुबंध से ही प्रभावित होगा। उन्होंने बताया कि संस्था का कार्यकाल मात्र इसी महीने और है इसके बाद नया अनुबंध होगा। उन्होंने पारदर्शिता का भरोसा दिलाया।
चिकित्सकों के मुद्दे पर भी हो-हल्ला
भाजपा विधायक गणेश जोशी द्वारा तारांकित प्रश्न संख्या 7 के माध्यम से जानना चाहा कि प्रदेश में कितने सामुदायिक केन्द्र, प्राथमिक केन्द्र, एलोपैथिक चिकित्सालय है। इस पर स्वास्थ्य मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य में 86 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र 254 प्राथमिक केन्द्र और 318 राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय स्थापित है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 227, प्राथमिक में 161 तथा राजकीय चिकित्सालयों में 109 चिकित्सा अधिकारी तैनात है।
उत्तराखंड राज्य में पीएमएचएस संवर्ग के अन्तर्गत एलोपैथिक चिकित्सकों के कुल 1619 पद रिक्त हैं तथापि ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत एलोपैथिक चिकित्सकों के अतिरिक्त आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथिक चिकित्सकों के माध्यम से भी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराईजा रही है। प्रदेश में चिकित्सकों की अत्याधिक कमी होने के कारण कमी को दूर करने के लिए विभाग द्वारा प्रत्येक मंगलवार को वॉक-इन-इन्टरव्यू के माध्यम से चिकित्सकों की भर्ती किए जाने का प्रयास किया जा रहा है तथा चिकित्सकों की नियमित नियुक्ति हेतु चिकित्सा चयन बोर्ड का भी गठन किया गया है।
इस प्रश्न के उत्तर में स्वास्थ्य मंत्री ने पहले चिकित्सकों की संख्या 267 और बाद में दिए गए उत्तर में उन्होंने 262 बताई। यह चर्चा का विषय बना कि एक ही दिन में दिए गए उत्तर में 5 चिकित्सक कम कैसे हो गए है लेकिन स्वास्थ्य मंत्री इसका संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।