नई दिल्ली। संसद के कई समितियों में शामिल नहीं होने के कारण भाजपा सांसदों को समितियों से हटा दिया है। संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू द्वारा दी चेतावनी के बाद भी इन सांसदों द्वारा नियम नहीं मानने के कारण उन पर यह गाज गिरी है।
दूसरी ओर इन सांसदों ने इस निर्णय पर दलील देते हुए कहा है कि समितियों से गैरहाजिरी का समय मॉनसून और शीत सत्र के बीच के कार्यकाल का था। इस दौरान वह बिहार एवं राजस्थान चुनाव में वयस्त थे। जानकारी के अनुसार भाजपा के बारह सांसदों को संसद की तीन महत्वपूर्ण समितियों से हटा दिया गया है।
ये समितियां हैं- लोक लेखा समिति (पीएसी), एस्टीमेट समिति और कमेटी ऑन पब्लिक अंडरटेकिंग। सबसे ज्यादा छह सांसदों को एस्टीमेट कमेटी से हटाया गया है।
हटाए गए सांसदों में विनोद खन्ना, दर्शना विक्रम जडोह, संजय जायसवाल, कीर्ति आज़ाद, ओम बिड़ला और गणेश सिंह शामिल हैं।
जबकि एसएस अहलूवालिया, दुष्यंत सिंह और रमेश पोखरियाल निशंक को लोक लेखा समिति से तथा वरुण गांधी, नंद कुमार सिंह चौहान और पंकज चौधरी को कमेटी ऑन पब्लिक अंडरटेकिंग से हटाया गया है।
इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने भी बीजेपी सांसदों को बार-बार इस बारे में हिदायत देते रहे थे। मंगलवार को ही बीजेपी संसदीय दल की बैठक में नायडू ने सांसदों को संसदीय समितियों में मन लगाने की नसीहत दी थी।
समितियों से हटाने के फैसले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए हटाए गए सांसदों ने दलील देते हुए कहा है कि जिस समितियों से उन्हें हटाया गया है, ये वो समितियां हैं जिनमें मानसून और शीत सत्र के बीच गैरहाजिरी की बात कही गई। मगर उसी दौरान बिहार के चुनाव में सांसद व्यस्त रहे। जबकि राजस्थान के सांसद स्थानीय निकाय के चुनाव में पार्टी का काम कर रहे थे।