जयपुर। जवाहर कला केंद्र (जेकेके) के रंगायन में बुधवार शाम आयोजित 65 मिनट की शानदार नृत्य प्रस्तुति शरीरा – फायर/डिजायर ने जयपुरवासियों को आत्मविभोर कर दिया।
शाजी के. जॉन और तिशानी दोशी द्वारा प्रस्तुत इस प्रस्तुति में नृत्य को कला की शैली के बजाय आध्यात्मिक रहस्योद्घाटन के रूप में प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण सुप्रसिद्ध उमाकांत एवं रमाकांत गुंडेचा का गायन था। कार्यक्रम में पखावज पर अखिलेश गुंडेचा ने संगत की।
चंद्रलेखा समूह द्वारा कोरियोग्राफ्ड इस कार्यक्रम में दर्शाया गया कि किस प्रकार से हमारा शरीर उन गहन एवं अदृश्य स्त्री शक्तियों से सम्बंधित है, जो हमारे बाहरी तथा भीतर के स्वयं को जागृत कर सकती हैं। यह आरोही स्त्री शक्ति है, जो आन्तरिक स्थिति को जागृत करने के लिए शरीर का ट्रांसफोर्मटिव क्षेत्र के रूप में एक्सप्लोर करती हैं, जिससे संसार का अनुभव हो सके।
वस्तुतः शरीरा नृत्य सेलिब्रेशन है, जीवित शरीर का, जिसमें विषयासक्ति और आध्यात्मिकता साथ-साथ रहते हैं। नवरस के तहत आयोजित कार्यक्रमों की श्रृखंला में गुरूवार को जेकेके के मध्यवर्ती में शाम 7 बजे से आयोजित सूफी संगीत के कार्यक्रम में ध्रुव संगारी (बिलाल चिश्ती के नाम से भी प्रसिद्ध) जयपुरवासियों को सम्मोहित करेंगे।