पूर्व पालिकाध्यक्ष अश्विन गर्ग, पूर्व ईओ, पालिका के तत्कालीन कनिष्ठ अभियंता, पालिका के कार्यवाहक सहायक अभियंता, नगर परिषद के अधिशासी अभियंता व माउंट आबू आयुक्त समेत सात आरोपी
बड़ के पेड़ से अमरापुरी तक सीसी फर्श निर्माण का मामला
आबूरोड। न्यायालय ने बड़ के पेड़ से अमरापुरी तक सीसी फर्श निर्माण किए बगैर भुगतान उठाने के मामले में मामला दर्ज करने के आदेश दिए है।
पूर्व पालिका उपाध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता छगनलाल कुमावत ने न्यायालय में परिवाद पेश कर बताया कि कार्यालय नगरपालिका मंडल द्वारा गत 15 अक्टूबर 2014 को निविदा सूचना क्रमांक 1878 के द्वारा 1 से 55 तक विभिन्न निर्माण एवं विकास कार्यो के लिए निविदा सूचना जारी की गई। जिसके क्रम संख्या 50 पर व कार्य संख्या 50 के द्वारा कार्य का नाम बड़ से अमरापुरी तक सीमेंंट सडक़ निर्माण कार्य करवाए जाने बाबत निविदा आमंत्रित की। नियमानुसार कार्यवाही कर उक्त कार्य करवाए जाने के लिए ठेकेदार , फर्म को कार्यादेश जारी किया गया। तकमीने के अनुसार कार्य की लागत 9 लाख रूपए थी। प्रकाशित हुए समाचार के अनुसार नगरपालिका आबूरोड द्वारा उक्त स्थान पर बिना सडक़ निर्माण कार्य के ही भुगतान उठा लेने का समाचार प्रकाशित हुआ । जिस पर उन्होंने कथित निर्माण के कार्य स्थल का मौका देखा। भौतिक सत्यापन किया। परिवादी ने पाया कि मौके पर किसी भी प्रकार की कोई सीमेंट सडक़ का निर्माण नहीं किया गया है। इस स्थान पर आज भी वर्षो पहले निर्मित नाम शेष डामर सडक़ स्थित है। वह भी जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हैं । इस बारे में जानकारी प्राप्त की गई। सूचना के अधिकार के तहत् रेकर्ड व दस्तावेज प्राप्त किए। उनके अवलोकन से ज्ञात हुआ आबूरोड पालिका प्रशासन द्वारा उक्त स्थान बड़ से अमरापुरी तक रेकर्ड अनुसार सीमेंट सडक़ निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया है। इस कार्य के बाबत सम्बंधित ठेकेदार को अंतिम भुगतान भी कर दिया गया हैं । दस्तावेजो के अवलोकन तथा कथित निर्माण स्थल का निरीक्षण के बाद उजागर हुआ है कि बड़ से अमरापुरी तक बिना सीमेन्ट सडक़ निर्माण किए ही भुगतान उठा लिया गया है। परिवाद के अनुसार तत्कालीन पालिकाध्यक्ष अश्विन गर्ग पुत्र रमेशचन्द गर्ग, तत्कालीन ईओ महारतन गहलोत, तत्कालीन कनिष्ठ अभियंता पवन कुमार, पालिका के कार्यवाहक सहायक अभियंता रमेशचन्द्र बराड़ा, नगर परिषद के अधिशासी अभियंता व माउंट आबू पालिका आयुक्त दिलीप माथुर पुत्र डॉ. ओमप्रकाश माथुर, पालिका के कार्यवाहक लेखाकार कैलाशचन्द्र योगी व पालिका के कैशियर प्रवीण सिंह चारण ने कार्य किए बिना ही कार्य पूरा हुआ बताकर निर्माण की समस्त राशि उठा लेने केा अवैध कार्य करने व करवाने के लिए सहमत होकर आपराधिक षडयंत्र किया। यह धारा 120बी भारतीय दण्ड सहिता अनुसार दण्डनीय अपराध हैं । परिवाद के अनुसार बड़ से अमरापुरी तक सीसी फर्श का निर्माण कभी किया ही नहीं गया। लेकिन, काम किया जाकर ठेकेदार के द्वारा प्रस्तुत बिल के भुगतान के दावे को समर्थन किया जा सकने के लिए मिथ्या दस्तावेज की रचना की। सभी आरोपियों ने ने आपराधिक षडय़ंत्र कर लोक कोष के हानि पहुंचाने के दुराष्य से कूट रचना कर दस्तावेज तैयार कर लोक कोष का गबन किया । यह कृत्य धारा 463, 467 में परिभाषित अपराध हैं । तत्कालीन पालिकाध्यक्ष गर्ग व तत्कालीन ईओ होने के नाते उन्हे न्यस्त किए गए लाखों रूपयों को बगैर निर्माण कार्य कराए कूटरचित दस्तावेज, कथित निर्माण किए होने बाबत अन्य आरोपियों के साथ मिलकर बेईमानीपूर्वक धन का दुर्विनियोग कर सम्पति व रुपयों का व्यय करके आपराधिक न्यास भंग का अपराध कारित किया है। कूटरचित दस्तावेज को भुगतान का आधार बताकर ठेकेदार को नहीं किए कार्य का भुगतान करने की कार्यवाही की गई। यह धारा 409 भादंसं में दण्डनीय अपराध हैं। न्यायालय ने प्रकरण से जुड़ी पत्रावलियां, दिए गए तर्काे से सहमत हुए आरोपियों के खिलाफ भादंसं की धारा 409, 420,467, 468, 120बी के तहत प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए है।